श्रम भवन के समक्ष मजदूरों ने किया प्रदर्शन, सीटू ने मांग पत्र सौंपा

झारखंड
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रांची। भारतीय ट्रेड यूनियन केन्द्र (सीटू) की झारखंड कमेटी के आह्वान पर केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीति एवं झारखंड सरकार के कार्पोरेट परस्त रवैये से उपजे मुद्दों से जुड़ी 14 सूत्री मांगों को लेकर राज्‍य के मजदूर और कर्मचारि‍यों ने डोरंडा स्थित श्रम भवन के समक्ष 6 जून को प्रदर्शन किया। इससे पहले श्रीकृष्ण सिंह पार्क से रैली निकाली गई। इसमें 3000 से भी अधिक कार्यकर्ता शामिल हुए। प्रदर्शन के उपरांत सीटू के राज्य नेतृत्व ने श्रमायुक्‍त के माध्यम से श्रम मंत्री और श्रम सचिव को संबोधित ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में बिश्वजीत देब, भवन सिंह, आरपी सिंह, अनिर्बान बोस एवं पूर्व विधायक अरूप चटर्जी शामिल थे।

प्रदर्शन में असंगठित मजदूर, ठेका मजदूर, गिग वर्कर, सरकारी परियोजनाओं में कर्मरत स्कीम वर्कर एवं अनुबंधित कर्मचारी, निर्माण मजदूर, बीड़ी मजदूर, खदान मजदूर, स्व-नियोजित युवा, सुरक्षा कर्मचारी, परिवहन आदि के साथ-साथ कोयला, स्टील, हेवी इंजीनियरिंग, मेकॉन, नर्स, सेल्स प्रमोशन कर्मचारी, डीवीसी कर्मि‍यों ने हिस्सा लिया।

मौके पर झारखंड सीटू के महासचिव बिश्वजीत देब ने कहा कि जनता के साथ-साथ देश की स्थिति चिंताजनक एवं गंभीर है। इसके लिए केंद्र सरकार की मौजूदा नीतियां ही जिम्मेदार है। यह ना केवल मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और जनविरोधी हैं, बल्कि राष्ट्रविरोधी भी हैं। जनता कल्याणकारी योजनाओं, सामाजिक सुरक्षा और सब्सिडी के लिए बजटीय आवंटन में लगातार कमी की मार झेल रही है। तथाकथित डबल इंजन वाली पिछली सरकार की नीतियों का प्रभाव झारखंड के मजदूर वर्ग पर अभी भी मंडरा रहा है।

वक्ताओं ने  कारपोरेट प्रभावित नौकरशाहों के मजदूर विरोधी रवैये के कारण, ट्रेड यूनियनों के पंजीकरण एवं पुन: पंजीकरण की प्रक्रिया विभाग की लालफीताशाही का शिकार होना, ठेका मजदूर, अनुबन्धित कर्मचारी, प्रवासी मजदूर,अनौपचारिक आदि कामगारों के बढ़ते संख्या तथा बिगड़ती कामकाजी परिस्थितियों के बावजूद सामाजिक सुरक्षा और कानूनी कवरेज सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक पहल की भारी कमी एवं स्थाई प्रकृति का काम ठेका श्रमिकों के माध्यम से कराया जाना, घोषित कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाना, श्रम कानूनों का सरेआम उल्लंघन के साथ-साथ पीड़ित मजदूरों को न्याय पाने की विलंबित प्रक्रिया पर गहरा रोष व्यक्त किया।

ज्ञापन में उपरोक्त मुद्दों से संबंधित मांगों के अलावा, न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण, सभी श्रेणियों के कामगारों को अनुसूची में सूचीबद्ध करने, कल्याण बोर्डों का पारदर्शी संचालन, श्रम विभाग के अंतर्गत विभिन्न समितियों में श्रमिकों का प्रतिनिधित्व तय करने के पारदर्शी मानदंड और अधिसूचनाओं के सख़्त कार्यान्वयन और दोषी नियोक्ताओं के लिए अभियोजन और दंड सुनिश्चित करना संबंधित मांगों भी रखा गया।

श्रम मंत्री को सौंपे गये ज्ञापन में उपरोक्त मांगों के अलावा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के दायरे में नहीं आने वाले सभी कामगारों के लिए कल्याण बोर्ड गठित करने, मनरेगा के लिये अधिक बजट सुनिश्चित करने, शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने, श्रम विभाग में रिक्त पदों में नियुक्ति तथा एन आई एक्ट के तहत मजदूर दिवस (मई दिवस) की छुट्टी का प्रावधान सुनिश्चित करने जैसी मांगों को रखा गया।

मुख्य वक्ताओं में मीरा देवी, एसके घोष, संजय पासवान, प्रतीक मिश्रा, अमर उरांव, केके त्रिपाठी, असीम हलदार, बीडी प्रसाद, हरेंद्र यादव, सरीफुल इस्लाम, प्रदीप बिस्वास, सुंदरलाल महतो आदि शामिल थे।