जल्‍द बीएयू से जुड़ेंगे हजारीबाग और देवघर के केवीके : कुलपति

कृषि झारखंड
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  • 37वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक आयोजित

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में 37वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक 14 जून को हुई। कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति एवं अतिथियों ने किया। इस अवसर पर अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने जिलास्तरीय कृषि शोध एवं प्रसार में राज्यपाल सह कुलाधिपति द्वारा निर्देशित विचारों के अनुपालन पर जोर दिया। कहा कि राज्‍यपाल ने कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) और महाविद्यालयों को स्थानीय प्रशासन एवं कृषि से जुड़े सरकारी संस्थानों से बेहतर समन्यवय एवं तालमेल स्थापित करने को कहा है। साथ ही कृषि प्रसार कार्यो में गुणात्मक तकनीकी हस्तांतरण में सहयोग और अभिनव कृषि तकनीकी को बढ़ावा देने पर बल दिया है।

केवीके में प्रतिस्पर्धा की जरूरत

कुलपति ने किसानों की खुशहाली एवं संतुष्टि में ही कृषि वैज्ञानिकों की सफलता निहित होने की बात कहीं। उन्होंने हर एक केवीके को अपने जिले के एक गांव को अंगीकृत कर आदर्श कृषि गांव स्थापित करने पर जोर दिया, ताकि बहुतायत स्थानीय किसानों को तकनीकी लाभ मिले। कहा कि जल्द ही हजारीबाग एवं देवघर जिले के केवीके बीएयू से जुड़ेंगे। उन्होंने कृषि प्रसार सेवा के बेहतर लाभप्रदता के लिए सभी केवीके में प्रतिस्पर्धा की जरूरत पर जोर दिया। कहा कि राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार हरसंभव सहयोग दे रही है, केवीके वैज्ञानिकों को किसानों के हित में प्रसार कार्यो में तेजी लानी होगी।

किसान और केवीके पुरस्‍कृत

मौके पर कुलपति एवं अतिथियों द्वारा एक्सटेंशन हाइलाइट्स 2022-23 पुस्तिका का विमोचन किया गया। कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए 7 किसानों मोहन प्रजापति, हरेन्द्र साहा, जे उरांव, राज कुमार बेदिया, भुबनेश्वर मांझी, समसुल होदा एवं बिट्टू कुमार को सम्मानित किया गया। सर्वाधिक रीवोल्विंग फंड के सृजन के लिए केवीके विकास भारती, गुमला को पुरस्कृत किया गया।

तकनीकी हस्तांतरण को बढ़ावा दे

परिषद् के विशेषज्ञ डॉ डीएस राठौर, पूर्व कुलपति, सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने कृषि प्रसार तंत्रों को नये तकनीकी हस्तांतरण में विद्यमान तकनीकी की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन पर ध्यान देने पर बल दिया। जिले के प्रसार तंत्र को बेहतर परिणाम एवं परिणाम के लिए मिशन मोड में तकनीकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

पशुपालन को प्राथमिकता दें

परिषद् के विशेषज्ञ डॉ पितांबर सवैन, प्राध्यापक एवं प्रधान, पशुपालन एवं पशुचिकित्सा प्रभाग, उड़ीसा यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर ने किसानों के हित में लाभकारी कृषि तकनीकी का त्वरित हस्तांतरण और स्थानीय अनुरूप उपयोगी तकनीकी को बढ़ावा देने एवं किसानों की बेहतर आमदनी के लिए पशुपालन एवं पशुचिकित्सा की तकनीकी सेवा को प्राथमिकता देने की बात कही।

समय पर कार्यो का निष्पादन हो

मौके पर डॉ अंजनी कुमार, निदेशक, आईसीएआर – अटारी, पटना ने विपरीत स्थिति में कृषि विज्ञान केन्द्रों को बढ़ावा देने में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह के योगदान को सराहनीय बताया। केवीके वैज्ञानिकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन से कुलपति के कंधों को मजबूत करने और राज्य एवं किसानों के हित में बेहतर ढंग से सही समय पर कार्यो के निष्पादन पर बल दिया। प्रसार कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में आउटपुट के मूल्यांकन से बेहतर कार्य के लिए प्रेरित किया

स्‍थानीय उपयुक्‍त तकनीकी वि‍कसित

मौके पर निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह ने राज्य के बहुतायत करीब 90 प्रतिशत छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए लाभकारी एवं उचित तकनीकी के प्रसार को प्राथमिकता देने की बात कही। कहा कि विगत तीन वर्षों में स्थानीय उपयुक्त अनेकों तकनीकी विकसित की गयी है। 150 से अधिक तकनीके चिन्हित की गयी है, जिन्हें केवीके माध्यम से किसानों तक प्रचलित किये जाने की जरूरत है।

स्वागत भाषण निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव और संचालन रेडियो हरियाली समन्यवयक शशि सिंह ने की।

तकनीकी सत्र में ये चर्चा

परिषद् के तकनीकी सत्र में निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों की वर्ष 2022-23 की समग्र प्रसार उपलब्धियों के प्रतिवेदन रखा। विभागाध्यक्ष डॉ रेखा सिन्हा ने 36वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक का कार्रवाई प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

विभागाध्यक्ष डॉ निभा बाड़ा ने आईसीएआर- फार्मर्स फर्स्ट प्रोग्राम की उपलब्धियों को रखा। केवीके चतरा प्रभारी डॉ रंजय कुमार सिंह ने 24 जिलों के केवीके की वर्ष 2022-23 की उपलब्धियों एवं 36 वीं परिषद् की बैठक का कारवाई प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। वर्ष 2023-24 की भावी प्रसार रणनीति पर चर्चा के लिए परिषद् की बैठक देर शाम तक चली।

मौके पर डॉ एमएस मल्लिक, डॉ सुशील प्रसाद, डॉ डीके शाही, डॉ एमके गुप्ता, डॉ बीके  अग्रवाल, डॉ राकेश कुमार, डॉ रमेश कुमार, ई डीके रूसिया के अलावा डॉ संजय पांडे, डॉ अजित कुमार, डॉ अशोक कुमार, डॉ अरविन्द कुमार, अनिल कुमार सहित सभी 24 कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक भी मौजूद थे।