BIHAR: जातीय गणना पर हाईकोर्ट की रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी नीतीश सरकार!

बिहार देश
Spread the love

पटना। इस समय की बड़ी खबर यह आ रही है कि नीतीश सरकार जातीय गणना पर हाईकोर्ट की रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी! दरअसल, बिहार में जाति आधारित गणना पर पटना हाई कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को डाटा शेयर या उनका उपयोग फिलहाल नहीं करने का निर्देश दिया है।

हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश आने के बाद राज्य सरकार के महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि आदेश पढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने के बारे में सरकार कोई निर्णय लेगी। अभी कुछ नहीं बोलेंगे।

वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने मीडिया से कहा कि सरकार ने नीतिगत फैसला लेकर जातीय गणना का काम शुरू कर दिया था, जो असंवैधानिक था। कोर्ट ने गणना को अभी स्टे कर दिया है। अगली तारीख 3 जुलाई को कोर्ट विस्तार से दोनों पक्षों की दलील सुनेगा।

आपको बता दें कि बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि तीन दिन में सुनवाई कर पटना हाई कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश दे।

बिहार सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही पटना हाई कोर्ट में अपनी दलील रख रहे थे। आज (गुरुवार) हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश आने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार में जाति आधारित गणना चल रही है। यह सभी के हित में है। मुझे आश्चर्य होता है कि इसका क्यों कुछ लोग विरोध कर रहे हैं, इसका मतलब कि उन्हें मौलिक समझ नहीं है।

आपको बता दें कि बुधवार को राज्य सरकार के महाधिवक्ता पीके शाही ने सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष रखा। महाधिवक्ता ने कहा कि जाति आधारित गणना के लिए 17 प्रश्नों में से किसी भी प्रश्न से गोपनीयता भंग नहीं हो रही। मुट्ठी भर लोग इसका विरोध कर रहे हैं।

अधिकतर लोग अपनी जाति बताने में हिचक नहीं रहे हैं। लोग स्वेच्छा से सभी 17 प्रश्नों का जवाब दे रहे हैं। सरकार को गणना करने का अधिकार है। सरकार की ओर से बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

यहां बता दें कि बिहार में जनवरी 2023 में जातीय जनगणना का काम शुरू हुआ था। दूसरे चरण का काम 15 अप्रैल से लेकर 15 मई तक होना था। पहले चरण में मकानों की गिनती की गई थी। दूसरे चरण में जनगणना अधिकारी घर-घर जाकर लोगों की जाति के अलावा उनके आर्थिक ब्यौरे की जानकारी जुटा रहे थे।