- स्थानीय उपयुक्त किस्मों को विकसित करने और बीजोत्पादन बढ़ाने पर जोर
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के निदेशालय अनुसंधान अधीन आनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग में कार्यरत आईसीएआर–अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान चना फसल परियोजना के अनुसंधान गतिविधियों का अवलोकन एवं समीक्षा चार सदस्यीय आईसीएआर (ICAR) रिव्यू कमेटी ने पूरी की। आईसीएआर, नई दिल्ली द्वारा डॉ (श्रीमती) रितु सक्सेना, मुख्य वैज्ञानिक (पौध प्रजनक), इंदिरा गांधी कृषि विवि, रायपुर के नेतृत्व में गठित इस दल में डॉ जीपी बंजारा, मुख्य वैज्ञानिक (शस्य विज्ञान), रायपुर, डॉ संजीव कुमार, मुख्य वैज्ञानिक (पौध प्रजनक), जम्मू एवं डॉ मो. हिदायततुल्ला, शस्य वैज्ञानिक, कल्याणी शामिल थे।
दल ने आनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के शोध फार्म के करीब 5 एकड़ भूमि में लगे चना फसल के कुल 21 प्रायोगिक प्रक्षेत्रों के स्टेशन ट्रायल, ब्रीडिंग ट्रायल एवं कोऑर्डिनेटेड ट्रायल के अलावा करीब 1.5 एकड़ भूमि में बीएयू द्वारा विकसित बिरसा चना-3 के प्रजनक बीज उत्पादन प्रक्षेत्र का अवलोकन किया। मौके पर परियोजना अन्वेंषक डॉ कमलेश कुमार ने रिव्यू टीम को चना फसल आधारित चलाये जा रहे शोध गतिविधियों से अवगत कराया। पिछले वर्ष की उपलब्धियों एवं भावी शोध कार्यक्रमों की जानकारी दी।
आईसीएआर रिव्यू टीम ने बीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह से मुलाकात कर परियोजना अधीन चना फसल पर चलाये जा रहे विभिन्न प्रायोगिक ट्रायल, क्रासिंग प्रोग्राम एवं प्रजनक बीज उत्पादन के सबंध में विस्तार से चर्चा की। प्रायोगिक प्रक्षेत्रों में फसल प्रदर्शन पर संतोष जाहिर की और शोध कार्यों की सराहना की।
टीम लीडर डॉ (श्रीमती) रितु सक्सेना ने बताया कि चना फसल में उकठा (विल्ट) रोग का प्रकोप देखा गया। शोध कार्यक्रम में चना फसल पर उकठा एवं अन्य रोग रोधी किस्मों को प्राथमिकता देनी होगी। प्रदेश में चना खेती की अपार संभावना को देखते हुए चना फसल के आच्छादन को बढ़ावा देने के लिए कम अवधि वाली, अधिक उपजशील एवं रोग रोधी उन्नत किस्मों के विकास की दिशा में विशेष प्रयास करने होंगे। उन्होंने राज्य के किसानों को बिरसा चना-3 उन्नत किस्म के बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए सरकार के सहयोग से विशेष पहल एवं प्रयास करने की आवश्यकता जताई।
साथ ही रिव्यू टीम ने चना फसल अनुसंधान के लिए बेहतर भूमि का चयन एवं उपलब्धता सुनिश्चित कराने और प्रायोगिक प्रक्षेत्रों की भूमि का मुख्य एवं सूक्षम पोषक तत्व उपलब्धता की जांच कराने और कीट एवं रोग का वैज्ञानिक प्रबंधन को बढ़ावा देने का सुझाव दिया।
निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह ने आईसीएआर रिव्यू टीम के महत्वपूर्ण सुझावों पर पहल एवं प्रयास करने की बात कहीं और रांची केंद्र के विजिट के लिए सबों का आभार जताया।