- यूनेस्को के सहयोग से संस्थापित संस्थान की देश विदेश में है अलग पहचान
रांची। झारखंड की रांची के हटिया स्थित निफ्ट का मामला सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में उठाया। केंद्र सरकार से इसकी स्वायत्तता और राष्ट्रीय पहचान बचाने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।
सांसद ने सदन में कहा कि राष्ट्रीय उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान, निफ्ट की स्थापना भारत सरकार के द्वारा रांची में यूनेस्को के सहयोग से 1966 में की गई। इसका मुख्य उद्देश्य मेटल मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में कुशल मेन पावर उपलब्ध कराना था। इस तरह की शैक्षणिक गतिविधियां वाला यह देश का एकमात्र संस्थान है।
सांसद सेठ ने कहा कि पिछले 50 वर्षों में इस संस्था ने देश-विदेश में विभिन्न स्तरों पर काम करके अलग पहचान बनाई है। देश के मेटल मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में हो रहे विस्तार के लिए इस संस्थान की संभावनाओं को देखते हुए इसे NITSER एक्ट के तहत लाने की प्रक्रिया आरंभ हुई। इसके लिए समिति का गठन हुआ। 2019-20 में NITSER एक्ट में शामिल करने की अनुशंसा भी हो गई, परंतु दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि यह कार्य नहीं हो सका।
श्री सेठ ने सदन में कहा कि राष्ट्रीय स्तर का यह संस्थान झारखंड स्टेट यूनिवर्सिटी के साथ एफिलिएटेड है। इस वजह से इसके शैक्षणिक संभावना और कैरियर संबंधी गतिविधियों को लेकर विद्यार्थी सशंकित हैं। इन्हें कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
सांसद ने आग्रह किया कि इस ऐतिहासिक संस्थान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जाए। इसकी स्वायत्तता के लिए काम हो, ताकि प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे विजन को सार्थक बना, उसे धरातल पर उतारा जा सके।