मॉनिटरिंग टीम ने क्षमतावान फसलों के शोध कार्यों की समीक्षा की

झारखंड कृषि
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  • जागरुकता अभियान सह प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम में भाग लिया

रांची। आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित क्षमतावान फसल विकास शोध परियोजना की मॉनिटरिंग टीम ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का दौरा किया। टीम में के राष्ट्रीय निदेशक डॉ हनुमान लाल रैगेर एवं वैज्ञानिक डॉ जितेन्द्र कुमार तिवारी थे। उन्‍होंने जागरुकता अभियान सह प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम में भाग लिया।

मॉनिटरिंग टीम ने विवि के अधीन अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग द्वारा संचालित क्षमतावान फसल विकास शोध परियोजना के अधीन खरीफ-2022 में संचालित अनुसंधान एवं प्रसार कार्यो की प्रगति की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में विभाग के अध्यक्ष डॉ सोहन राम तथा परियोजना अन्वेंषक डॉ जेएल महतो ने भाग लिया।

मोनिटरिंग टीम ने पतरातू के ओखरगढा गांव का दौरा किया। गांव में आयोजित प्रक्षेत्र दिवस में आदिवासी किसानों के खेतों में क्षमतावान फसल पर लगे अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण का अवलोकन किया। मौजूद किसानों को क्षमतावान फसल की उन्नत खेती तकनीक एवं लाभ के बारे में बताया।

प्रक्षेत्र भ्रमण के बाद मोनिटरिंग दल ने ओखरगढा गांव में आयोजित जागरुकता अभियान सह प्रशिक्षण एवं उपादान वितरण कार्यक्रम में भाग लिया। मौके पर  राष्ट्रीय निदेशक डॉ हनुमान लाल रैगेर ने किसानों को बताया कि झारखंड में परंपरागत तौर पर क्षमतावान फसलों की खेती में काफी संभावनाएं हैं। प्रदेश के उपयुक्त क्षमतावान एवं गौण फसलों में रामदाना, बथुआ, खेकसा एवं कुल्थी का काफी महत्वपूर्ण औषधीय उपयोग है, जबकि रामदाना, बथुआ, राजमूंग एवं पंखिया सेम पौष्टिक गुणों से युक्त फसलें है।

डॉ रैगेर ने कहा कि इन फसलों की गुणवत्ता एवं उन्नत खेती तकनीक को अपनाकर किसान अधिक लाभ अर्जित कर सकते है। तेजी से वृद्धि करने वाली रामदाना एक बहुउपयोगी फसल है। प्रदेश में इसकी खेती की काफी संभावना है। इसका प्रयोग बीज, चारा, सब्जी तथा औषधी के रूप में की जाती है। बथुआ गेहूं के खेत में उगने वाला सामान्य खरपतवार है। इसके पोष्टिक गुणों को देखते हुए हरी सब्जी के रूप में इसकी खेती से किसान बढ़िया लाभ अर्जित कर सकते है।

वैज्ञानिक डॉ जितेन्द्र कुमार तिवारी ने पंखिया सेम की खेती पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह एक तरह का दलहनी सब्जी है, जिसके फली, बीज, फूल, तना तथा जड़ को भोज्य पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है। स्थानीय किसान इस फसल का अपनी आंगन- बाड़ी और खेतों में उन्नत तकनीकी से अधिक उपज एवं आय प्राप्त कर सकते हैं।

मौके पर मौजूद किसानों को आगामी रबी मौसम के उपयुक्त क्षमतावान फसलों के उन्नत बीज का वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन परियोजना अन्वेंषक डॉ जयलाल महतो और धन्यवाद वरीय वैज्ञानिक कृष्णा प्रसाद ने किया। कार्यक्रम में गाव के करीब 50 किसानों ने भाग लिया।