नई दिल्ली। बड़ी खबर ये आयी है कि राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के खिलाफ केंद्र सरकार ने आवाज उठाई है. इसके लिए केंद्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की गुजारिश की है. सुप्रीम कोर्ट ने ही राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी साबित हुए छह लोगों को बीते दिनों रिहा करने का आदेश दिया था.
केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार को अपनी बात कहने का पर्याप्त अवसर दिए बिना दोषियों की रिहाई का फैसला किया गया. केंद्र ने कहा कि सुनवाई के दौरान प्रक्रियात्मक चूक हुई, जिसकी वजह से केस में केंद्र सरकार की भागीदारी ना के बराबर रही. केंद्र ने इसे न्याय देने में विफलता (miscarriage of justice) बताया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते इन छह दोषियों की रिहाई का आदेश दिया था. ये सभी पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या के केस में उम्रकैद की सजा काट रहे थे. राजीव को 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरुमबुदुर में एक चुनावी रैली के दौरान बम से उड़ा दिया गया था, जिसमें उनकी मौत हो गई थी.
कोर्ट ने माना था कि दोषियों ने 30 साल से ज्यादा का वक्त जेल में काटा है और सजा के दौरान उनका बर्ताव ठीक था. इसी केस में सुप्रीम कोर्ट ने अन्य दोषी ए जी पेरारिवलन (A G Perarivalan) को पहले ही रिहा कर दिया था. वह भी उम्रकैद की ही सजा काट रहे थे.
सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने भी दोषियों के प्रति नरम रुख अपनाया था, जिससे इनकी रिहाई को बल मिला था. हालांकि, केंद्र सरकार के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी भी दोषियों की रिहाई के खिलाफ है.
दूसरी तरफ हत्याकांड में सजा काटने के बाद रिहा हुई नलिनी ने खुद को बेकसूर बताया है. उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस परिवार से हूं. जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई थीं, हमने पूरा दिन कुछ नहीं खाया था. हम चार दिनों तक रोए थे.
यहां तक कि जब राजीव गांधी की हत्या हुई थी, हम तीन दिन तक रोए थे. लेकिन मुझ पर उनकी हत्या का आरोप लगा. मैं तभी आराम से जी सकूंगी, जब उनकी हत्या का आरोप पूरी तरह से मुझसे हट जाए.