देश भर में आर्थिक आधार पर जारी रहेगा 10 फीसदी आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

नई दिल्ली देश मुख्य समाचार
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नई दिल्ली। सोमवार को आखिरकार ईडब्ल्यूएस आरक्षण कोटा पर फैसला आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ- साफ कह दिया कि देशभर में ईडब्ल्यूएस आरक्षण जारी रहेगा।

आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे जारी रखने पर अपनी मुहर लगा दी है। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय बेंच ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

5 सदस्यीय बेच में 3 जजों ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण के पक्ष में अपना मत दिया, तो 2 ने विपक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले के अनुसार, सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में 10 प्रतिशत का आरक्षण बरकरार रहेगा। इस मामले में 30 से ज्यादा याचिकाएं डाली गई थीं, जिस पर 27 सितंबर को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 103वें संविधान संशोधन को सही बताया।

ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामले में सात दिनों तक लगातार सुनवाई चली। बेंच ने 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 8 नवंबर को चीफ जस्टिस रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले चीफ जस्टिस की बेंच फैसला सुना सकती हैं। इस बेंच में चीफ जस्टिस सहित एस रवींद्र भट, दिनेश माहेश्वरी, जेबी पार्डीवाला और बेला एम त्रिवेदी शामिल हैं।

न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने अपने फैसले में कहा कि आर्थिक मापदंड को ध्यान में रखते हुए ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे या समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता। उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण कोटे की 50 प्रतिशत की सीमा सहित संविधान की किसी भी आवश्यक विशेषता को क्षति नहीं पहुंचाता, क्योंकि कोटे की सीमा पहले से ही लचीली है।

न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी ने न्यायमूर्ति माहेश्वरी के विचारों से सहमत होते हुए कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण वैध है। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला ने भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया।

मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति भट ने पीठ के अन्य तीन न्यायाधीशों के फैसलों से असहमति जताई। मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति भट ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण भेदभावपूर्ण और संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन है।

ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामले में वरिष्ठ वकीलों ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में तर्क दिया। जिसके बाद (तत्कालीन) अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडब्ल्यूएस कोटे के बचाव में अपने तर्क रखे।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कानून का समर्थन करते हुए कहा था कि, यह कानून अत्यंत गरीबों के लिए आरक्षण का प्रवधान करता है। इस लिहाज से यह संविधान के मूल ढांचे को मजबूत करता है। यह आर्थिक न्याय की अवधारणा को सार्थक करता है। इसलिए इसे मूल ढांचे का उल्लंघन करने वाला नहीं कहा जा सकता।

कानूनी विद्वान डॉ जी मोहन गोपाल ने याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करते हुए तर्क दिया कि वर्गों का विभाजन, आरक्षण देने के लिए एक पूर्वापेक्षा के रूप में आवश्यक होने की गुणवत्ता संविधान के मूल ढांचे का विरोध करती है। इससे पहले, गोपाल ने तर्क दिया था कि 103 वां संशोधन संविधान के साथ धोखाधड़ी है।