पटना। बड़ी खबर बिहार से आयी है, जहां जेलों में कैदियों की एचआइवी जांच हुई, तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। 59 जेलों में बंद 443 कैदी जांच में एचआइवी संक्रमित पाए गये।
वहीं 260 बंदियों में टीबी के लक्षण पाए गये, जिसके बाद तत्काल एआरटी केंद्रों से जोड़ा गया। बाकी कैदियों को भी केंद्रों से जोड़ने का काम चल रहा है। एक लाख से अधिक कैदियों की जांच के बाद यह रिपोर्ट सामने आयी है।
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के संयुक्त निदेशक मनोज कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को उज्ज्वला रक्षा और अल्पवास गृहों में रहने वाले व्यक्तियों में एचआइवी, टीबी, यौन जनित रोग व हेपेटाइटिस के खतरे को कम करने के उद्देश्य से आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने जेल में कैदियों के संक्रमित होने की बात कही।
बता दें कि जेलों में कैदियों के एड्स पीड़ित होने की बात पहले भी सामने आ चुकी है। हाल में ही भागलपुर की सेंट्रल जेल में बंद आधा दर्जन से अधिक कैदियों के एचआइवी संक्रमित होने की बात सामने आयी, तो हड़कंप मच गया था।
जेल के डाक्टरों ने उन कैदियों में बीमारी से लड़ने की क्षमता बेहद कम पाई थी। कैदियों को जांच के बाद एचआइवी संक्रमित पाया गया था। वहीं जेल में संक्रमित कैदियों के रहने की व्यवस्था अलग से की गयी है। भागलपुर की कैंप जेल में भी ऐसे कैदियों के लिए अलग वार्ड बनाने की कवायद शुरू की गयी।
भागलपुर की कैंप जेल में एचआइवी संक्रमित कैदियों को अलग से रहने के लिए एक पृथक वार्ड बनाने की योजना है। कारा विभाग से इसे लेकर बात चल रही है। हालांकि एचआइवी मरीजों को सामान्य जीवन जीने का ही प्रावधान है, लेकिन जेल या कहीं भी लोगों के हीन भावना को लेकर ऐसा विचार किया गया।
इसे लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। वहीं लंबे समय से बंद गमला सेल को भी फिर से रेनीवेट करके चालू किया गया है। भागलपुर की तीनों जेल मिलाकर 18 संक्रमित हैं।