- मध्याह्न भोजन को लेकर कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
विवेक चौबे
गढवा। इस स्कूल में पढ़ने के लिए आने से छात्राएं डरती हैं। मध्याह्न भोजन को लेकर यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। दोनों की वजह चौंकाने वाली है। यह मामला झारखंड के गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पतीला पंचायत के राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय, चोका का है।
अभिभाषकों ने बताया कि विद्यालय में वर्षों से रंगरोगन भी नहीं हुआ है। शौचालय होने के बावजूद भी अनुपयोगी है। विद्यालय में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। उक्त विद्यालय में कक्षा 1 से कक्षा 10 तक की पढ़ाई होती है। छात्र-छात्रा दोनों पढ़ते हैं। प्रत्येक वर्ष विकास कार्य के लिए सरकार की ओर से पैसा भी आता है। इसके बावजूद भी विद्यालय की तस्वीर नहीं बदलती है। कमलेश कुमार को अध्यक्ष बने लगभग दो वर्ष हो गया, किन्तु विद्यालय की दीवार पर अभी भी पुराने अध्यक्ष और संयोजिका का ही नाम अंकित है।
विद्यालय का एक भवन आज भी अपूर्ण स्थिति में खड़ा है। ना ही क्लास रूम प्लास्टर हुआ है और ना ही भवन। कोई पदाधिकारी भी संज्ञान लेना मुनासिब नहीं समझ रहे। मध्याह्न भोजन सामग्री के स्टोर रूम की स्थिति जर्जर है। रसोइया व अन्य पर खतरा मंडरा रहा है। बनाने के दौरान खाने में भी कुछ गिर सकता है। कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है।
विद्यालय में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। कोई चहारदीवारी नहीं है। विद्यालय परिसर में जलमीनार लगा है, किन्तु एक बूंद भी पानी के लिए विद्यार्थी तरस जाते हैं। छोटे बच्चे तो शौच के लिए बाहर चले भी जाते हैं, किन्तु कक्षा- 9 व 10 की छात्राएं बाहर कैसे जाएं, यह बड़ी समस्या है। उनकी इज्जत दांव पर लगी रहती है। इसलिए उन्हें स्कूल आने में डर लगता है।
कक्षा 10 की छात्राओं ने बताया कि यहां ठीक से पढ़ाई लिखाई भी नहीं होती है। उच्च विद्यालय के 9 और 10 की कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए केवल 3 शिक्षक हैं। कक्षा 1 से कक्षा 8 के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पारा शिक्षक हैं, जो उच्च विद्यालय के छात्रों को नहीं पढ़ाते हैं। उच्च विद्यालय की कक्षा 10 की छात्राओं ने सरकार और संबंधित पदाधिकारियों से शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की मांग की है।
अध्यक्ष कमलेश कुमार ने कहा कि शिक्षक समय से कक्षा में जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि 3 बजे छुट्टी हो जाने के बाद गांव के लोग आकर विद्यालय में गंदगी फैलाते हैं। चूंकि विद्यालय का कोई चहारदीवारी नहीं है। इस कारण उक्त विद्यालय को शराबियों ने मयखाना बना दिया है। कई बार शराब की बोतलें भी पाई गईं हैं, जहां से शिक्षकों ने कई बार अपने हाथ से उठाकर बोतलों को बाहर फेंका है।