बीएयू : नियमित नियुक्ति नहीं, वेटनरी और नये कॉलेजों की स्थिति चिंताजनक

झारखंड मुख्य समाचार
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  • वीसी ने राज्य के एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय पर विशेष प्रयास और सहयोग की जरूरत बताई 

रांची। राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रत्यायन बोर्ड के अनुमोदन से नई दिल्‍ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने झारखंड स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को मान्यता दे दी है। बीएयू को 2.85 स्कोर के साथ बी ग्रेड मिला है। इसे 31 मई, 2021 से 30 मई, 2026 तक विश्वविद्यालय कार्यक्रम एवं महाविद्यालय के लिए प्रदान किया गया है।

इन प्रोग्रामों को दी गई मान्‍यता

आईसीएआर ने बीएयू अधीन रांची कृषि महाविद्यालय (कांके) के बीएससी (ऑनर्स) कृषि प्रोग्राम, रांची वानिकी महाविद्यालय (कांके) के बीएससी (ऑनर्स) वानिकी प्रोग्राम और नये मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय (गुमला) के बीएफएससी प्रोग्राम को बी ग्रेड के साथ मान्यता दी है। तिलका मांझी कृषि महाविद्यालय (गोड्डा) के बीएससी (ऑनर्स) कृषि प्रोग्राम को भी मान्यता मिली है।

रांची कृषि महाविद्यालय के एग्रोनोमी, जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग, एंटोमोलॉजी एवं प्लांट पैथोलॉजी विषय और रांची वानिकी महाविद्यालय के सिल्वीकल्चर एवं एग्रोफॉरेस्ट्री के पीजी व पीएचडी प्रोग्राम को मान्यता मिली है।

मान्‍यता पर विचार नहीं हुआ

पहले बैच से विद्यार्थी के पास आउट नहीं होने के कारण कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय (कांके) और उद्यान महाविद्यालय (खूंटपानी, चाईबासा) के मान्यता पर विचार नहीं किया। नियमित एसोसिएट डीन और सहायक प्राध्यापकों के नहीं होने एवं प्रशासनिक बिंदुओं पर आवश्यक कार्रवाई करते हुए कृषि महाविद्यालय (गढ़वा), रविन्द्र नाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय (देवघर), फूलो झानो दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय (हंसडीहा, दुमका) की मान्यता के लिए अलग से प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। 

प्रस्ताव भेजने के लिए कहा

ब्रोड सब्जेक्ट मैटर एरिया (बीएसएमए) -2021 अनुशंसा आधारित नामकरण के आभाव में रांची कृषि महाविद्यालय के एग्रो मेटरोलॉजी एंड एनवायरनमेंट, हॉर्टिकल्चर, एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन एंड कम्युनिकेशन, साइल साइंस एंड एग्रीकल्चरल केमिस्ट्री के पीजी एवं पीएचडी प्रोग्राम, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलॉजी के पीजी प्रोग्राम और रांची वानिकी महाविद्यालय के नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट एवं फॉरेस्ट्री प्रोडक्ट्स एंड यूटिलाइजेशन के पीजी प्रोग्राम को बीएसएमए आधारित नामकरण कर विवि अकादमिक काउंसिल बोर्ड से अनुमोदन लेकर प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया है।

पिछली बार सशर्त्त मान्यता

दशकों से नियमित शिक्षकों की कमी के कारण रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय की मान्यता पर सवाल खड़ा है। महाविद्यालय आधारभूत संरचना के मामले में समृद्ध है। वेटनरी काउंसिल ऑफ इंडिया (वीसीआई) ने नियमित शिक्षकों की कमी पर चिंता जाहिर की थी, पिछली बार सशर्त्त मान्यता मिली थी। हाल में झारखंड लोक सेवा आयोग ने 8 पदों पर नियमित नियुक्ति की है। महाविद्यालय के विभागों में सह प्राध्यापक एवं विवि प्राध्यापक का नितांत कमी है। वीसीआई के संबोधन को पूरा नहीं होने के कारण ही आईसीएआर से इस महाविद्यालय को मान्यता नहीं मिल पाई है।

5 वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई

कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने आईसीएआर से बीएयू को अगले 5 वर्षो की मान्यता मिलने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने बताया कि आईसीएआर से गठित पीयर रिव्यू टीम ने मार्च, 2021 तक की सेल्फ स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक बीएयू के कार्यक्रम एवं महाविद्यालयों का मूल्यांकन किया है। विवि को अप्रैल, 2021 से अबतक राष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियां मिली है। राज्य सरकार एवं झारखंड लोक सेवा आयोग से सहयोग में तेजी आई है। सभी 7 नये महाविद्यालयों में विगत 5 वर्षो में भी नियमित एसोसिएट डीन, सहायक प्राध्यापक एवं कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है।

पुराने कॉलेजों में भी कमी

वीसी ने कहा कि पुराने महाविद्यालयों में भी नियमित डीन, सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं विवि प्राध्यापक एवं कर्मचारियों की कमी हैं। विवि द्वारा पीयर रिव्यू टीम के सुझावों के अनुरूप आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। राज्य के एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय की गरिमा बनाये रखने के लिए सभी स्तर पर विशेष प्रयास एवं सहयोग की अपेक्षा विवि को है। आशा है कि विवि के नये महाविद्यालयों को जल्द ही मान्यता मिल जाएगी।