मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में अभियोजन की दी स्वीकृति

झारखंड मुख्य समाचार
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रांची। झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऊर्जा विभाग से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में अभियोजन की स्वीकृति दे दी। यह मामला स्वर्णरेखा जल विद्युत यंत्र, सिकीदरी (स्वर्ण रेखा हाइड्रो इलेक्ट्रसिटी प्रोजेक्ट, सिकीदरी) की मरम्मत और रखरखाव के लिए मनोनयन के आधार पर बहुत ही ऊची दर  पर भेल को दे दिये जाने का है। अभियुक्‍तों पर गैर कानूनी ढंग से सरकारी राशि के गबन करने आरोप है।

इस मामले में झारखंड राज्‍य विद्युत बोर्ड के तत्‍कालीन अध्‍यक्ष एसएन वर्मा और बोर्ड के तत्‍कालीन सदस्‍य (वित्त) आलोक शरण के प्राथमिक अभियुक्त हैं। उनके विरुद्ध सीबीआई, एसीबी रांची थाना (कांड संख्या- आर०सी०-07(ए) /2016- (आर), दिनांक- 02-06-2016) को मामला दर्ज किया गया था।

एसएन वर्मा वर्तमान में प्रबंध निदेशक (उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड, उज्ज्वल महानगरी बाग, जीएमएस, रोड, देहरादून) हैं। आलोक शरण प्रधान निदेशक (इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स आइएनसी, एटीएस. एडवांटेज, इंदिरापुरम, उत्तर प्रदेश) हैं।

मुख्‍यमंत्री ने इसके विरुद्ध विभिन्‍न दंड प्रक्रिया संहिता के उपबंधों के अधीन अपराध के लिए स्वीकृत्यादेश निर्गत किए जाने संबंधी प्रस्ताव पर अभियोजन स्वीकृत्यादेश प्रदान की।

यह है मामला

प्राथमिकी अभियुक्तों पर वर्ष 2011-2012 में झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड, भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस लिमिटेड (भेल), भोपाल और मेसर्स नॉर्दन पावर इरेक्टर लिमिटेड (एनपीईएल) के पदाधिकारियों के साथ मिलीभगत कर आपराधिक षड्यंत्र के तहत बेईमानी से स्वर्णरेखा जल विद्युत यंत्र, सिकीदरी (स्वर्ण रेखा हाइड्रो इलेक्ट्रसिटी प्रोजेक्ट, सिकीदरी) की मरम्मत‍ एवं रखरखाव के लिए मनोनयन के आधार पर 2.5 करोड़ रुपये के कार्य को 20.87 करोड़ रुपये में भेल को दे देने का आरोप है। झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के पदाधिकारियों ने बेईमानी से भेल के द्वारा निर्धारित भुगतान की शर्तों के आधार पर स्थापित वित्तीय नियमों के विरूद्ध एवं सीवीसी के नियमों का उल्लंघन करते हुए भुगतान कर दिया।

साथ ही, भेल के पदाधिकारियों ने बेईमानी से स्वर्णरेखा जल विद्युत यंत्र, सिकीदरी (स्वर्ण रेखा हाइड्रो इलेक्ट्रसिटी प्रोजेक्ट, सिकीदरी) की मरम्मत एवं रखरखाव से संबंधित कार्य को मेसर्स नॉर्दन पावर के साथ 15.32 करोड़ रुपये में सबलेट/कॉन्ट्रैक्ट कर लिया, जो सीवीसी के नियमों के विरूद्ध है। मेसर्स नॉर्दन पावर द्वारा उक्त कार्य को 5.55 करोड़ रुपये की लागत पर निष्पादित कर दिया। इस प्रकार भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस लिमिटेड एवं मेसर्स नॉर्दन पावर इरेक्टर लिमिटेड द्वारा खराब गुणवत्ता के कार्य करने और विलंब से कार्य संपादित करने के कारण झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा।

इसके अतिरिक्त वर्ष 2005 के दौरान मरम्म्त और रखरखाव का कार्य झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा भेल को निविदा के आधार पर 59.75 लाख रुपये में दिया गया था, जबकि वर्ष 2012 में कार्य को बेईमानी से बहुत ही ऊचें दर 20.87 करोड़ रुपये पर नोमिनेशन के आधार पर दे दिया गया। इस प्रकार उपरोक्त प्राथमिकी अभियुक्तों पर सरकारी पद का दुरूपयोग करते हुए, लापरवाही, धोखाधड़ी, बेईमानी, जालसाजी के नीयत से आपराधिक षड्यंत्र के तहत वित्तीय अनयिमितता करते हुए गैर कानूनी ढंग से सरकारी राशि के गबन करने आरोप है।