मंत्री ने कृषि शुल्क विधेयक समाप्त करने का किया वायदा, व्‍यापारियों का आंदोलन स्‍थगित

झारखंड बिज़नेस
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रांची। संसदीय कार्य मंत्री ने आलमगीर आलम ने कृषि शुल्‍क विधेयक समाप्‍त करने का वायदा किया। इसके बाद व्‍यापारियों ने एक माह से चल रहे आंदोलन को खत्‍म कर दिया। झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2022 को निरस्त करने के मुद्दे पर 20 मई को झारखंड चैंबर का प्रतिनिधिमंडल मंत्री आलमगीर आलम एवं महागामा विधायक श्रीमती दीपिका पांडे सिंह से उनके निवास पर मिला। इस विधेयक के विरोध में राज्यस्तर पर जारी आंदोलन के बारे में बताया।

चैंबर प्रतिनिधियों ने इस बात पर चिंता जताई कि कृषि विधेयक के लागू होने से झारखंड में विकसित हो रहे कृषि कार्य, कृषि आधारित उद्योग, व्यापार और छोटे जमीनी स्तर के सब्जी विक्रेता जो कि स्वतः विकास कार्यों में लगे हुए हैं, वे सब प्रभावित होंगे। इस विधेयक के प्रभावी होने के कारण कृषि, कृषि आधारित उद्योगों और व्यापार जगत एवं गरीब-गुरबों के बीच अधिकारियों के भ्रष्टाचार का बोलबाला हो जायेगा।

मंत्री ने चैंबर प्रतिनिधियों से वायदा किया कि इस कृषि विधेयक को वापस लिया जायेगा। उन्होंने चैंबर अध्यक्ष से आग्रह किया कि खाद्यान्न की आवक बंद के आंदोलन को समाप्त किया जाय, ताकि जनता को आवश्यक वस्तुओं की कमी नहीं हो। मंत्री के आग्रह को चैंबर प्रतिनिधियों ने स्वीकार किया।

चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा और महासचिव राहुल मारू ने संध्या 4 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूरे प्रदेश के व्यवसायिक संगठनों, जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स, खाद्यान्न व्यवसायियों और प्रसंस्करण उद्योग से जुडे व्यापारियों के साथ मंत्री के आग्रह पर विस्तार से चर्चा की। सर्वसम्मति से खाद्यान्न की आवक बंद करने के निर्णय को स्थगित करने की सहमति बनाई गई।

प्रतिनिधिमंडल में चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा, महासचिव राहुल मारू, पूर्व अध्यक्ष अर्जुन प्रसाद जालान, बिकास सिंह, निवर्तमान अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा, राइस मिलर्स एसोसिएशन से मनीष साहू, कांग्रेस पार्टी के वरीय कार्यकर्ता आलोक दूबे और कुमार राजा शामिल थे।