आईसीएआर का निरीक्षण दल बीएयू के दौरे पर, कर रही कामकाज की समीक्षा

झारखंड शिक्षा
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के पांच दिवसीय दौरे पर आई भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की एक्रीडिटेशन टीम के अध्यक्ष डॉ एआर पाठक ने कहा कि आईसीएआर महिला छात्रावास और लाइब्रेरी के निर्माण और विकास के लिए उदारता पूर्वक विकास अनुदान प्रदान करेगी। विश्वविद्यालय को इसके लिए समुचित प्रस्ताव समर्पित करना चाहिए।

गुजरात स्थित नवसारी और जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके के डॉ पाठक गुरुवार को रांची कृषि महाविद्यालय प्रेक्षागृह में बीएयू के शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा विभाग और प्रयोगशालाओं में नवीनतम शोध उपकरणों की कमी की ओर ध्यान आकृष्ट किए जाने पर डॉ पाठक ने कहा कि उसके लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को परियोजना प्रस्ताव समर्पित करना चाहिए जिसके तहत प्रयोगशाला उपकरण आसानी से मिल सकते हैं।

बीएयू में पिछले 17-18 वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को करियर एडवांसमेंट योजना (कैस) के तहत प्रोन्नति नहीं मिलने पर उन्होंने दुख व्यक्त किया। कहा कि यह देश के सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को इसका लाभ समय पर मिल रहा है। झारखंड के जनप्रतिनिधियों को इसका संज्ञान लेना चाहिए।

टीम के सदस्य और गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उत्तराखंड के पूर्व कुलपति डॉ जे कुमार ने कहा कि कहा कि राज्य और आईसीएआर से राशि मिलने में कठिनाई होती है। इसलिए आधुनिकतम प्रयोगशाला उपकरणों के लिए आसपास के वैसे उच्च शिक्षण संस्थानों से तालमेल स्थापित करना चाहिए, जहां उनकी उपलब्धता है ताकि शिक्षक आपस में मिलकर उसका उपयोग कर सकें।

टीम के अन्य सदस्य तथा आईसीएआर के अवकाशप्राप्त सहायक महानिदेशक (उद्यान) डॉ डब्ल्यू एस ढिल्लन ने कहा कि डिग्री लेकर निकलनेवाले विद्यार्थी ही किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान की पहचान हैं। उनका कैसा प्लेसमेंट हो रहा है और ऊंची पढ़ाई के लिए वे देश-विदेश के कैसे संस्थानों में प्रवेश पाने में सफल हो रहे हैं। इसी से किसी विश्वविद्यालय की पहचान बनती है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों में साबित हुआ है कि केवल पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन से विद्यार्थियों के ज्ञान और कौशल में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाती है। इसलिए ब्लैक बोर्ड, डिक्टेशन और प्रेजेंटेशन तीनों का इस्तेमाल शिक्षण पद्धति में समान रूप से करना चाहिए।

इसके पूर्व टीम के आमंत्रण पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने अपनी विभिन्न समस्याओं की चर्चा की तथा शिक्षण स्तर को नयी ऊंचाई प्रदान करने के लिए अपने सुझाव दिए।

बाद में सीनेट हॉल में एक्रीडिटेशन टीम और बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह की उपस्थिति में वानिकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ एमएस मलिक ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी प्रसार, बीज उत्पादन और छात्र कल्याण गतिविधियों, उपलब्धियों और कार्यक्रमों के बारे में प्रेजेंटेशन दिया।

एक्रीडिटेशन कमिटी के अध्यक्ष डॉ एयर पाठक ने विश्वविद्यालय के आंतरिक स्रोतों से राजस्व बढ़ाने तथा लाइब्रेरी कमेटी की बैठक नियमित समयांतराल पर करते रहने का सुझाव दिया। बैठक में टीम के सदस्य लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार के डीन डॉ वीके जैन, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट के कृषि अधिष्ठाता डॉ डीपी राय यथा आईसीएआर के शिक्षा प्रभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ केपी त्रिपाठी भी मौजूद थे। निरीक्षण दल के सदस्यों ने विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और प्रक्षेत्रों का भ्रमण भी किया।

टीम के छह सदस्य अपराह्न में देवघर के लिए रवाना हो गए, जहां वे रवीन्द्र नाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय, देवघर, तिलका मांझी कृषि महाविद्यालय, गोड्डा तथा फूलो झानो मुर्मू डेयरी प्रोद्योगिकी महाविद्यालय, हंसडीहा, दुमका का निरीक्षण करेंगे।

टीम के सातवें सदस्य तथा राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल हरियाणा के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एके पूनिया 8 अक्टूबर को मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय, गुमला के निरीक्षण के लिए जाएंगे। नौ अप्रैल को टीम छात्र-छात्राओं के साथ इंटरएक्शन करेगी।