प्रशांत अंबष्ठ
बोकारो। देश में आए दिन अमन बिगाड़ने वाली खबरें आ रही है। इस बीच झारखंड से कौमी एकता की मिसाल कायम करने वाली खबर आई है। यहां ओम प्रकाश की जान बचाने के लिए सिकंदर ने बीच में ही रोजा तोड़ दिया।
जानकारी के मुताबिक हजारीबाग जिले के पदमा प्रखंड अंतर्गत गौरिया करमा निवासी ओम प्रकाश गुप्ता (35) बीमार थे। उन्हें खून की जरूरत थी। उसे खून देने के लिए समाजसेवी सिकंदर अली आगे अये। उन्होंने रक्तदान कहा कि जिंदगी रही तो आगे भी रोजा रख लूंगा। ओम प्रकाश की जान बचाने के लिए ओ-पॉजिटिव खून की जरूरत थी। स्थिति में सुधार नहीं होने की वजह से उसे हजारीबाग स्थित लाइफ केयर नर्सिंग अस्पताल में भर्ती गया। हालत गंभीर बनी थी। उनका हिमोग्लोबिन की मात्रा तीन था। परिजन परेशान थे। ओ-पॉजिटिव खून नहीं मिल रहा था।
ओम प्रकाश की हालत धीरे-धीरे और खराब होती जा रही थी। इसकी जानकारी गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड अंतर्गत बेको के युवा समाजसेवी सिकंदर अली को मिली। वह रोजा में थे। ओम प्रकाश को खून देने के लिए उन्होंने रोजा तोड़ दिया। रक्तदान कर उसकी जान बचाई। उनका कहना है कि अगर कोई व्यक्ति किसी की जान बचाने के लिए रक्तदान करता है तो इससे बढ़कर इंसानियत और मजहब कुछ नहीं हो सकता है। सिकंदर के इस कदम की लोग खूब प्रशंसा कर रहे हैं।
हजारीबाग स्थित शेख भिखारी अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्त का स्टॉक नहीं था। सिकंदर अली को सोशल मीडिया के माध्यम से दोपहर 12 बजे इसकी जानकारी मिली। फौरन युवक की जान बचाने के लिए खून देने को तैयार हो गए। वह रोजा में थे। रोजे में वह अपनी बाइक से भीषण गर्मी में रक्तदान करने हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंच गये। वहां डॉक्टर ने कहा कि पहले रोजा तोड़िए, फिर रक्तदान कीजिए।
इसके बाद उन्होंने रोजा तोड़ा। रक्तदान किया। उन्होंने कहा कि मेरे लिए रोजा के फर्ज से ज्यादा जरूरी था बच्चे की जान बचाना। इसलिए रक्तदान किया। जिंदगी रही तो आगे भी रोजा रख कर पूरा कर लूंगा।