रांची। समग्र शिक्षा अभियान के अधीन ‘संविदाकर्मी वेलफेयर सोसाइटी’ की नीति निर्धारण से संबधित बैठक झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् के प्रशासी पदाधिकारी जयंत मिश्रा की अध्यक्षता में 8 अप्रैल को परियोजना कार्यलय में हुई। यह बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई। संघ के प्रतिनिधियों ने विरोध की ओर से विशेष तैयारी नहीं किए जाने की बात कही। इसका विरोध जताया। अगली बैठक की तिथि अप्रैल में आयोजित करने पर सहमति बनी, जिसमें इंश्योरेंस सेक्टर के प्रतिनिधियों को भी शामिल करने की मांग की गई।
बैठक में परियोजना निदेशक की अनुपस्थित थी। संघ ने किसी प्रकार की सकारात्मक पहल नहीं होने से मुख्यमंत्री एवं शिक्षामंत्री से अविलंब हस्तक्षेप की मांग की। झारखंड सेवा शर्त नियमावली 2022 पूर्ण रूप से धरातल पर लागू नहीं होने पर विरोध किया गया। संघ ने कहा कि अनुकंपा, सेवा पुस्तिका, इपीएफ का लाभ, सीटेट को नियमावली में समाहित करने जैसे मुद्दों पर सकारात्मक पहल नहीं होने से राज्य के सहायक अध्यापकों में आक्रोश है।
बैठक में झारखंड राज्य सहयोगी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद तिवारी, महासचिव नरोत्तम सिंह मुंडा, प्रदेश कोषाध्यक्ष बैजनाथ महतो सहित अन्य मौजूद थे। एकीकृत मोर्चा ने बैठक का बहिष्कार किया। इमौके पर परियोजना कार्यालय की ममता एलिजाबेथ लकड़ा, प्रमोद कुमार सिन्हा, राज्य लेखपाल ओपी मिश्रा मुख्य रूप से उपस्थित थे। इसमें झारखंड के 62,000 सहायक अध्यपकों की भविष्य की सुरक्षा को लेकर कई बिंदुओं पर चर्चा हुई।
इन बिन्दुओं पर चर्चा की
अगली बैठक 15 दिनों के अंदर होनी चाहिए। बैठक में कल्याण कोष को अंतिम रूप देने का लिखित आवेदन दिया गया।
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा अगली बैठक में सभी बीमा कंपनियों को तैयारी के साथ आमंत्रित किया जाए।
सेवानिवृत्ति का लाभ सेवा नियुक्ति की तिथि से लागू की जाए।
सरकार द्वारा कल्याण कोष में अंशदान 10 करोड़ से बढ़ाकर 50 करोड़ करने की मांग की गई। उसे तरल अवस्था में रखने की बात कही गई।
सेवानिवृत्ति पर मिलने वाली राशि सरकार द्वारा दिये अंशदान वहन की जाए।
आयुष्मान कार्ड और प्रधानमंत्री आवास के लिए सभी जिले के उपायुक्त को निर्देशित किया जाए।
कल्याण कोष के अंतर्गत आवास ऋण उपलब्ध कराई जाए।