होली के त्योहार के पीछे कामदेव के भस्म होने की क्या कथा है, आज जान लीजिए

झारखंड
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रांची। होली के त्योहार को लेकर ज्यादातर जो कथा प्रचलित है वह प्रहलाद और होलिका को लेकर ही है। होलिका दहन के बाद ही होली का त्योहार भी मनाया जाता है और इस कारण ज्यादातर लोग इसी कहानी को जानते हैं। लेकिन होली के पीछे एक और पौराणिक कहानी है जो कामदेव से जुड़ी हुई है।

चलिए आज आपको उसी कहानी को सुनाते हैं, होली के मौके पर यह कहानी पढ़िए। पौराणिक कथा के तारकासुर नाम का एक राक्षस था जिसके अत्याचारों से देवता परेशान थे। एक वरदान था कि तारकासुर का अंत भगवान शिव और पार्वती की संतान ही कर सकती थी। पर, उस समय भगवान शिव तो अनंत तपस्या में लीन थे और उनकी तपस्या खत्म होने तक ऐसा संभव नहीं था।

ऐसे में कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग की जो कि जरूरी भी था। लेकिन तपस्या भंग होने से नाराज होकर शिव ने कामदेव को ही भस्म कर दिया। इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने अपने पति के लिए भगवान शिव से गुहार लगाई। रति ने उन्हें समझाया कि ऐसा करने क्यों जरूरी था। रति की गुहार सुनकर शिव भगवान ने कामदेव को फिर से जीवित कर दिया। कहा जाता है कि ये फाल्गुन पूर्णिका का दिन था जिस दिन कामदेव जीवित हुए।

इस खुशी में इस दिन को होली के रूप में मनाया गया और उसके बाद से हर साल इस मौके पर होली मनाते हैं। इसके बाद शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर देवों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलवाई थी।