कृषि फसल उत्पाद के प्रसंस्करण से महिला समूह बन रहा स्‍वावलंबी

कृषि झारखंड
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रांची। झारखंड की राजधानी रांची जिले के कांके प्रखंड के गारु गांव की महिलाओं का समूह कृषि फसल उत्पादों के मूल्यवर्धन एवं प्रसंस्करण से स्वावलंबी बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी वैज्ञानिक डॉ एसके पांडे बताते है कि इस गांव की महिलाओं को अमृत कृषि कार्यक्रम के अधीन जैविक कृषि से जोड़ा गया था। बीएयू-बीपीडी ईकाई के मार्गदर्शन में महिलाओं ने गोबर एवं गो मूत्र से धान एवं सब्जी फसलों की खेती की शुरुआत की। इससे गांव की महिलाओं को बढ़िया लाभ मिला। महिलाओं में नवीनतम कृषि तकनीक को देखने, सीखने एवं करने की ललक बढ़ने लगी।

गांव की 25 महिलाओं को बीएयू के कृषि अभियंत्रण विभाग में फसल कटाई उपरांत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी सबंधी विषयों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के उपरांत इनमें से 12 महिलाओं ने प्रगति सखी मंडल नामक महिला समूह गठित की। इस समूह की 5 सक्रिय महिलाओं ने गांव में कृषि फसल उत्पादों के मूल्यवर्धन एवं प्रसंस्करण से सबंधित कुटीर उद्योग में काफी रुचि दिखाई।

महिलाओं की रुचि को देखते हुए बीएयू द्वारा आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कटाई उपरांत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी परियोजना के तकनीकी मार्गदर्शन में गारु गांव में कृषि उत्पाद प्रसंस्करण केंद्र स्थापित की गई। इस केंद्र का उद्घाटन जनवरी, 2019 में तत्कालीन निदेशक अनुसंधान एवं सीआईपीएचईटी के राष्ट्रीय परियोजना समन्यवयक ने संयुक्त रूप से किया। साथ ही, प्रसंस्कृत एवं उत्पादित मसाला पैकेट का प्रगति सखी मंडल ब्रांड से विमोचन किया।

प्रगति सखी मंडल समूह की 5 सक्रिय महिलाएं सबिता देवी के नेतृत्व में तीन वर्षो से हल्दी, धनिया, गोलमिर्च, लाल मिर्च एवं जीरा का शुद्ध एवं गुणवत्तायुक्त मसाला पाउडर बना रही है। इनके द्वारा 100 ग्राम के जीरा (35 रुपये), हल्दी (25 रुपये), धनिया (20 रुपये), गोलमिर्च (100 रुपये) एवं लाल मिर्च (35 रुपये) पैकेट तैयार किये जाते है। इन उत्पादों को महिलाओं द्वारा कांके, सीएमपीडीआई, मोरहाबादी, एग्रीकल्चर कॉलोनी और निकट के गांवों में बेचा जा रहा है। मसाला की गुणवत्ता के शौकीन कुछ शहरी एवं ग्रामीण ग्राहक केंद्र से ही उत्पादों को सीधे खरीदते है।

सबिता देवी बताती है कि समूह की महिलाएं अपने नियमित घरेलु एवं खेती कार्य के बाद प्रति दिन दो घंटे मसाला उत्पादों को तैयार करने में लगाती है। इनमें दो महिलाएं उत्पादों को स्थानीय बाजारों/हांटो में बेचती है। इस थोड़ी मेहनत से समूह को प्रति माह 15 से 20 हजार रुपये का शुद्ध लाभ हो रहा है। बाजारों में अधिक कीमत वाली ब्रांडेड मसाला उत्पाद की मांग है, लेकिन मसाला की शुद्धता एवं गुणवत्ता के भरोसे प्रगति सखी मंडल की महिलाएं संघर्ष के साथ स्वावलंबन की ओर आगे बढ़ रही है।

डॉ एसके पांडे कहते है कि यह सफल महिला समूह प्रदेश के अन्य महिला समूहों की प्रेरणा स्रोत है। राज्य में खाद्य प्रसंस्करण की अपार संभावनाएं है। ग्रामीण महिलाएं दाल मिल, तेल मिल, बेकरी इकाई, कैचप, सांस, पापड़ एवं आलु चिप्स आदि से जुड़कर घर बैठे अपनी आमदनी को कई गुणा बढ़ा सकती है। प्रगति सखी मंडल के मसाला उत्पादों की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है। इनकी स्वाबलंबन की सफलता ने ग्रामीण युवक एवं युवतियों को नये नजरिये से जीने की सीख देने लगी है।