अनोखा काम रहे ये लोग, नरेंद्र मोदी ने किया जिक्र, जानें जरूर

देश नई दिल्ली मुख्य समाचार
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नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 मार्च को ‘मन की बात’ की। इसमें उन्‍होंने कई विषयों पर बात की। इस दौरान उन्‍होंने कुछ लोगों का जिक्र भी किया। सभी अपने-अपने इलाके में अनोखा काम कर रहे हैं।

महाराष्‍ट्र के चंद्रकिशोर पाटिल

चंद्रकिशोर पाटिल महाराष्ट्र में नासिक में रहते हैं। चंद्रकिशोर का स्वच्छता को लेकर संकल्प बहुत गहरा है। वह गोदावरी नदी के पास खड़े रहते हैं। लोगों को लगातार नदी में कूड़ा-कचरा नहीं फेंकने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्हें कोई ऐसा करता दिखता है, तो तुरंत उसे मना करते हैं। इस काम में चंद्रकिशोर अपना काफी समय खर्च करते हैं। शाम तक उनके पास ऐसी चीजों का ढेर लग जाता है, जो लोग नदी में फेंकने के लिए लाए होते हैं।

ओडिशा के राहुल महाराणा

ओडिशा के पुरी के रहने वाले हैं राहुल महाराणा। राहुल हर रविवार को सुबह-सुबह पुरी में तीर्थ स्थलों के पास जाते हैं। वहां plastic कचरा साफ करते हैं। वह अब तक सैकड़ों किलो plastic कचरा और गंदगी साफ कर चुके हैं।

केरला के नारायणन

केरला के मुपट्टम के रहने वाले हैं नारायणन। उन्होंने ‘Pots for water of life’ नामक प्रोजेक्‍ट शुरू की है। वह गर्मी में पशु-पक्षियों, को पानी की दिक्कत ना हो, इसके लिए मिट्टी के बर्तन बांटने का अभियान चला रहे हैं। गर्मियों में वो पशु-पक्षियों की इस परेशानी को देखकर खुद भी परेशान हो उठते थे। फिर उन्होंने सोचा कि क्यों ना वो खुद ही मिट्टी के बर्तन बांटने शुरू कर दें, ताकि दूसरों के पास उन बर्तनों में सिर्फ पानी भरने का ही काम रहे। उनके द्वारा बांटे गए बर्तनों का आंकड़ा एक लाख को पार करने जा रहा है।

चेन्‍नई के अरुण कृष्णमूर्ति

चेन्नई के निवासी हैं अरुण कृष्णमूर्ति। अरुण अपने इलाके में तालाब और झीलों को साफ करने का अभियान चला रहे हैं। उन्होंने 150 से ज्यादा तालाबों-झीलों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी उठाई। उसे सफलता के साथ पूरा किया।

महाराष्ट्र के रोहन काले

महाराष्ट्र के रहने वाले हैं रोहन काले। रोहन पेशे से एक HR Professional हैं। वह महाराष्ट्र के सैकड़ों Stepwells यानी सीढ़ी वाले पुराने कुओं के संरक्षण की मुहिम चला रहे हैं। इनमें से कई कुएं तो सैकड़ों साल पुराने होते हैं। हमारी विरासत का हिस्सा होते हैं। सिकंदराबाद में बंसीलाल-पेट कुआं एक ऐसा ही Stepwell है। बरसों की उपेक्षा के कारण ये stepwell मिट्टी और कचरे से ढक गया था। अब वहां इस stepwell को पुनर्जीवित करने का अभियान जनभागीदारी से शुरू हुआ है।