‘कोविड महामारी और युद्ध में इको-सोशल वर्ल्ड ने की मदद’

झारखंड
Spread the love

  • सीआईपी में कार्यक्रम का आयोजन

रांची। झारखंड की राजधानी रांची के कांके स्थित केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान (सीआईपी) में 15 मार्च को 16वें विश्व सामाजिक कार्य दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सीआईपी के मनोरोग सामाजिक कार्य विभाग ने ‘एक नई पारिस्थितिक-सामाजिक दुनिया का सह-निर्माण-किसी को पीछे नहीं छोड़ना’ विषय पर कार्यक्रम किया। यह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में हुआ।

सीआईपी के निदेशक डॉ (प्रो) बासुदेव दास, रिनपास के पूर्व निदेशक डॉ (प्रो) अमूल रंजन, आईएसपीएसडब्ल्यू के अध्‍यक्ष डॉ एएन वर्मा, सीआईपी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अविनाश शर्मा, डॉ संजय कुमार मुंडा एसोसिएट प्रोफेसर, सेंटर फॉर एडिक्शन, सीआईपी के प्रभारी) और डॉ दीपंजन भट्टाचार्जी (एसोसिएट प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, पीएसडब्ल्यू-सीआईपी) ने इसमें अपने विचार रखें।

विशेषज्ञों ने इको-सोशल वर्ल्ड के बारे में बताया। कहा कि कोविड-19 महामारी और युद्ध जैसी अन्य समस्या में मदद की। उन्होंने भारत में सामाजिक कार्य के उद्भव, लोग और समुदायों के साथ काम करने वाली समस्याओं को दूर करने एवं लोगों को उनके अधिकार, कल्याणकारी लाभ और योजनाओं को प्राप्त करने में मदद करने के लिए किए गए प्रभाव के बारे में भी बात की।

उद्घाटन सत्र के बाद आभासी मंच पर विषय के बारे में बोलने के लिए 3 प्रकाशकों को आमंत्रित किया गया। प्रारंभिक सत्र डॉ जे श्रीताथा (प्रोफेसर, टीआईएसएस, मुंबई) के साथ शुरू हुआ। उनका विषय ‘सोशल वर्क टू फोस्टर मेंटल हेल्थ फॉर ऑल’ विषय था। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य प्रतिमान पर सकारात्मक प्रभाव लाने में सामाजिक कार्य की भूमिका पर चर्चा की।

डॉ अंजल प्रकाश (रिसर्च डायरेक्टर, आईएसबी, हैदराबाद) ने ‘आईपीसीसी’ज क्लाइमेट चेंज 2022 रिपोर्ट-इम्प्लीकेशंस फॉर इंडिया’ विषय पर चर्चा की। उन्‍होंने बताया कि पर्यावरण में बदलाव दुनिया को कैसे प्रभावित कर रहा है। अंतिम तकनीकी सत्र डॉ वैशाली कोल्हे (एसोसिएट प्रोफेसर, टीआईएसएस, मुंबई) द्वारा लिया गया। उन्होंने सामाजिक कार्य और विकलांगता अध्ययन के दायरे में विकलांग व्यक्तियों को शामिल करने के लिए एक पारिस्थितिक सामाजिक दुनिया का सह-निर्माण’ पर बात की।

समारोह के पूरे सत्र का संचालन सुश्री पूजा औध्या और कश्तोव परिजुली ने किया। कार्यक्रम में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों मोड में 90 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। डॉ जेम्स जोसेफ ने धन्यवाद किया।