रांची। काम में लापरवाही बरतने वाले सहायक पेयजल अभियंता को सजा दी गई है। उनपर लगे आरोप के लिए गठित जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें दंड दिया गया है। इसका आदेश पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने जारी कर दिया है। उक्त सहायक अभियंता का नाम ललित इन्दवार है। वर्तमान में वह पेयजल एवं स्वच्छता स्वर्णरेखा वितरण अवर प्रमंडल संख्या-01, बूटी में पदस्थापित हैं।
उपायुक्त चाईबासा के 22 मई, 2017 के पत्र और विभिन्न स्तरों से प्राप्त प्रतिवेदन द्वारा ललित इन्दवार (तत्कालीन सहायक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता अवर प्रमंडल सोनुवा) द्वारा सोनुवा अवर प्रमंडलल में पदस्थापन के दौरान चक्रधरपुर प्रमंडल अंतर्गत लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजना के निर्माण एवं अनुश्रवण में दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के कारण योजनाएं अधूरी/बंद है। निम्न गुणवत्ता के निर्माण होने के कारण समय से पूर्व ही योजनाएं क्षतिग्रस्त हो जाने आदि मामले विभाग के संज्ञान में आया। इसके बाद विभाग द्वारा उक्त मामले की समीक्षा की गई। इसमें इन्दवार के विरुद्ध उक्त वर्णित आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित पाये गये।

प्रथम दृष्टया प्रमाणित पाये गये आरोपों के विरुद्ध इन्दवार से स्पष्टीकरण पूछा गया। इन्दवार द्वारा दिये गये स्पष्टीकरण सहित पूरे मामले की सम्यक समीक्षा की गयी। इसमें स्पष्टीकरण में वर्णित तथ्य स्वीकारयोग्य नहीं पाये गये। इन्दवार के विरुद्ध पदीय दायित्वों के निर्वहन और योजनाओं के अनुश्रवण में लापरवाही बरतने के फलस्वरूप योजना असफल रहने का आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित पाते हुए विभागीय कार्यवाही संचालित की गयी।
जांच संचालन पदाधिकारी ने प्रतिवेदन विभाग को उपलब्ध कराया। इसमें जांच संचालन पदाधिकारी का निष्कर्ष विरोधाभाषी पाया गया। इसके बाद नये जांच संचालन पदाधिकारी से मामले पर पुनः अंग्रेतर जांच कर प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया।
नवनियुक्त विभागीय जांच पदाधिकारी द्वारा मामले की जांच करने के बाद प्रतिवेदन विभाग को उपलब्ध कराया गया। इसमें जांच संचालन पदाधिकारी ने इन्दवार के विरुद्ध आंशिक प्रमाणित प्रतिवेदित किया गया है। आंशिक प्रमाणित आरोपों के संदर्भ में इन्द्रवार से द्वितीय कारण पृच्छा किया गया। उन्होंने इसका जवाब विभाग को उपलब्ध कराया।
जवाब की समीक्षा में क्रम में कोई नया तथ्य नहीं पाते हुए इसे अस्वीकारयोग्य पाया गया। निर्णय के आलोक में ललित इन्दवार के विरुद्ध ‘एक वेतन वृद्धि असंचयात्मक प्रभाव से अवरुद्ध’ करने का दंड अधिरोपित किया गया।