सोन और कोयल नदी संगम से बालू उठाव की तैयारी, विरोध में उतरे ग्रामीण

झारखंड
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विवेक चौबे

गढ़वा। झारखंड के गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सुंडीपुर गांव स्थित सोन और कोयल नदी के संगम से स्थाई रूप बालू के उठाव की तैयारी शुरू हो गई है। इसकी प्रक्रिया शुरू करने का ग्रामीणों ने विरोध किया। सुंडीपुर बाजार स्थित दुर्गा मंडप के प्रांगण में समाजसेवी श्रीकांत पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय के नेतृत्व में 13 जनवरी को ग्रामीणों की बैठक हुई। इसमें एक स्वर से नदी से बालू उठाव करने का विरोध किया गया।

ग्रामीणों ने कहा कि प्रकृति विरोधी तत्वों द्वारा यह कार्य शुरू किया जा रहा है, जो स्थानीय लोगों के लिए काफी नुकसानदेह है। वर्तमान में बालू उठाव स्थल तक ग्रामीणों की रैयती जमीन पर बिना सूचना दिए सड़क निर्माण किया जा रहा है। इस कार्य का इससे पूर्व भी ग्रामीणों ने विरोध किया था। इसके बाद बालू उठाव और इसकी बिक्री पर रोक लगाई गई थी।

ग्रामीणों ने बताया कि इसे लेकर मामला न्यायालय में लंबित है। ग्रामीणों ने सुंडीपुर स्थित सोन और कोयल नदी के संगम से बालू उठाव होने से 21 तरह के होने वाले नुकसान गिनाये। निर्णय लिया गया कि श्रीकांत पांडेय के नेतृत्व में ग्रामीण कांडी सीओ, एसडीओ, डीएमओ, एसपी, सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बालू उठाव स्थगित कराने का आग्रह किया जाएगा।

ग्रामीणों ने कहा कि बालू घाट शुरू होने के 21 नुकसान गिनाये। इसमें सुंडीपुर गांव सहित चार दर्जन गांवों के लिए मौजूद श्मशान घाट का विलुप्त होना, सुंडीपुर गांव का सोन और कोयल नदी तट पर स्थित होना, गांव के समीप तटबंध का नहीं होना, भूमि का निरंतर कटाव से अधिकांश ग्रामीणों का भूमिहीन होना, नदी के कटाव से अभी तक कई दर्जन लोगों का दूसरे क्षेत्रों में विस्थापित होना, बालू उठाव स्थल से लगभग ढ़ाई सौ मीटर की दूरी पर झारखंड के सबसे लंबे पुल पंडित दीनदयाल उपाध्याय सेतु का होना, बालू उठाव से उठाव स्थल के नजदीक स्थित अड़ंगा बाबा, डीहवार बाबा व देवी मंदिर का होना, बालू उठाव होने से नदी का जलस्तर कम होना व संभावित बालू स्थल क्षेत्र में पशुचारा स्थल होना सहित कई अन्य शामिल है।

बैठक में लव विश्वकर्मा, बबन पांडेय, सरयु साह, बीरेंद्र कुमार तिवारी, देवेंद्र शर्मा, गोपाल चौधरी, प्रभु पांडेय, श्रीकेश पांडेय, रेखा देवी, वीरा मेहता, मदन शर्मा, बिकाउ राम, कामेश्वर राम, अशोक पांडेय, रामदयाल महतो, दिलेश्वर ठाकुर, ब्रजेश मेहता, नन्दू राम, सीताराम साह सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण शामिल थे।