सफल टेस्ट के 24 घंटे बाद फिर से क्यों किया प्रलय मिसाइल का परीक्षण? जानें वजह

देश नई दिल्ली
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नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 24 घंटे में छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय का एक बार फिर सफल परीक्षण किया है। प्रलय मिसाइल 150 से 500 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के अड्डों को नष्ट करने में सक्षम है। इसकी सटीक मारक क्षमता और इसकी गति इसे ज्यादा ताकतवर बनाती है। बॉर्डर के पास से अगर इसे दाग दिया जाए तो दुश्मन के बंकरों, तोपों, बेस आदि को खत्म करने में समय नहीं लगाएगी।

इसके पहले 22 दिसंबर 2021 को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से पहला सफल परीक्षण किया गया था। जमीन से जमीन पर मार करने के लिए बनाई गई प्रलय शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है।  डीआरडीओ ने इसे पृथ्वी मिसाइल प्रणाली पर बनाया है। चुंकि इस मिसाइल की रेंज 150 से 500 किलोमीटर है। इसलिए इसके कई परीक्षण होने हैं। अलग-अलग रेंज पर परीक्षण किए जा सकते हैं। दूसरा परीक्षण भी इसके रेंज की सटीकता को जांचने के लिए किया गया है। दोनों ही परीक्षणों के दौरान मिसाइल ने सभी तय मानकों को पूरा किया।  

यह मिसाइल 5 टन वजनी है। इसमें 500 से 1000 किलोग्राम तक के पांरपरिक हथियार लगाए जा सकते हैं। यह इनर्शियल गाइंडेंस सिस्टम पर चलने वाली मिसाइल है। सॉलिड प्रोपेलेंट फ्यूल है। इस मिसाइल के बारे में ज्यादा जानकारी सरकार या डीआरडीओ द्वारा शेयर नहीं की गई है। चुंकि यह पृथ्वी मिसाइल की तकनीक पर बनी है। यह भारत की तीन शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीक से मिलकर बन सकती है।

ये हैं – प्रहार, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3 मिसाइल। अगर पृथ्वी-3 मिसाइल के प्लेटफॉर्म को इसका आधार मानते हैं तो प्रलय मिसाइल के वॉरहेड में हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, फ्रैगमेंटेशन, थर्मोबेरिक, केमिकल वेपन और रणनीतिक परमाणु हथियार भी लगाए जा सकते हैं।