कुलपति ने भावी पीढ़ी के लिए मिट्टी प्रबंधन एवं संरक्षण जागरुकता पर दिया जोर

कृषि झारखंड
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  • विश्व मृदा दिवस पर बीएयू में एक दिवसीय जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन

रांची। बिरसा कृषि विश्वविश्वविद्यालय में विश्व मृदा दिवस के मौके पर फसल उत्पादन में मृदा का महत्‍व विषय पर एक दिवसीय जागरुकता कार्यक्रम 6 दिसंबर को हुआ। कार्यक्रम का आयोजन मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग के प्रायोगिक फार्म शोध केंद्र में किया गया। मुख्य अतिथि कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह थे।

डॉ सिंह ने कहा कि मिट्टी हमारी जननी एवं जीवन दाता है। यह हमारे दैनिक जीवन की सारी जरूरतों को पूरा करती है। वर्ष, 1970 से पहले देश को खाद्यान्न आयात करना पड़ता था। आज खाद्यान्न मामले में आत्मनिर्भर हो चला है। अधिक खाद्यान्न उत्पादन की लालसा में खेतों में अधिक और असंतुलित उर्वरकों के प्रयोग से कई राज्यों की मिट्टी बीमार एवं प्रदुषित हो गई है। भूमि बंजर होने लगी है। झारखंड में भूमि का क्षरण एवं अम्लीयता सबसे बड़ी समस्या है। इसकी वजह से उत्पादन एवं उत्पादकता में कमी होती है। आने वाले वर्षो में देश एवं राज्य की बड़ी आबादी के पोषण के लिए खाद्यान्‍न सुरक्षा पर अग्रिम सोच एवं रणनीति बनानी होगी।

कुलपति ने कहा कि हमें दैनिक जीवन में मिट्टी की महत्ता को समझना होगा। खेती में मिट्टी के स्वास्थ्य प्रबंधन पर ध्यान देना होगा, ताकि हमारी भावी पीढ़ी के लिए खाद्यान सुरक्षा सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने मौजूद छात्र एवं वैज्ञानिकों को आमलोगों तक मिट्टी की महत्ता, स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संरक्षण के प्रति जागरूक करने की बात कही।

विशिष्ट अतिथि निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद ने कहा कि मिट्टी की महत्ता को समझने का यह प्रमुख अवसर है। हमारे छात्र ही देश की भावी पीढ़ी है। इस कार्यक्रम में छात्रों की सहभागिता एक बेहतर प्रयास है। विवि में मिट्टी की समस्या एवं प्रबंधन पर अनेकों शोध चल रहे है। अनेकों उपयुक्त तकनीकों की अनुशंसा की गई है।

मौके पर अध्यक्ष मृदा विभाग डॉ डीके शाही ने विश्व मृदा दिवस के इतिहास, औचित्य एवं मिट्टी की महत्ता पर प्रकाश डाला। विभाग द्वारा खेतों में संचालित प्रायोगिक शोध कार्यक्रमों की जानकारी दी।

प्रायोगिक शोध फार्म में छात्रों को डॉ बीके अग्रवाल ने मिट्टी स्वास्थ्य के लिए फसल अवशेष प्रबंधन, डॉ पी महापात्रा ने दीर्घकालीन उर्वरक प्रयोग का रबी फसल पर प्रभाव, डॉ एसबी कुमार ने मिट्टी जांच एवं खाद एवं उर्वरक अनुशंसा का रबी फसलों पर प्रभाव डाला। डॉ आशा सिन्हा ने कृषि में अभिनव बायोचार तकनीक का प्रयोग, डॉ डीके शाही ने नैनो फर्टिलाइजर का रबी फसलों में प्रयोग के सबंध में व्यावहारिक जानकारी दी।

स्वागत करते हुए में डॉ बीके अग्रवाल ने झारखंड में मिट्टी की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद डॉ अरबिंद कुमार ने किया। मौके पर डॉ उत्तम कुमार, डॉ प्रमोद राय सहित भारी संख्या में कृषि एवं वानिकी संकाय के अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट एवं पीएचडी छात्र-छात्राएं मौजूद थे।