आनंद कुमार सोनी
लोहरदगा। एक कहावत है दीये तले अंधेरा। यह लोहरदगा डीसी ऑफिस पर सटीक बैठती है। अभी पूरा देश और राज्य आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस अवसर पर अमृत महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस क्रम में पूरे जिले में एक पखवाड़ा तक स्वच्छता अभियान चलाया गया। इस दौरान स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए डीसी ने रथ रवाना किया गया था। जागरुकता मार्च निकाला गया था। डीसी सहित कई अफसरों ने हाथ में झाड़ू पकड़कर साफ-सफाई की। स्वच्छता का संदेश दिया।
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पूरे जिले में स्वच्छता पखवाड़ा पर खूब ढोल पीटा गया। हालांकि पूरे कार्यक्रम का संचालन करने वाले डीसी ऑफिस परिसर पर ही ध्यान नहीं दिया गया। यह तस्वीर जिला मुख्यालय की स्थिति को बयां करती है। स्वच्छता की पोल खोलती है। यहां पूरे जिला के लोग काम के सिलसिले में आते हैं। परिसर में स्थित इस भवन से शिक्षा की गंगा बहती है। करोड़ों की सड़क का निर्माण करने वाला विभाग है। इसी भवन में कल्याण विभाग है। विशेष प्रमंडल और एसबीआई है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोग रोजाना भारी संख्या में पहुंचते है। उस भवन में सरकारी कर्मी, पदाधिकारी भी बहुत हैं। वे सुबह से शाम तक रहते हैं।
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इस भवन में लाखों की लागत से शौचालय बनाया गया है। हालांकि उसकी देखरेख नहीं होती है। साफ सफाई भी शायद ही कभी होती है। इसके बाथरूम में दरवाजा तक नहीं है। महिला एवं पुरुष के लिए अलग-अलग शौचालय बनाया गया है। भवन की दीवारें गुटखा, पान की पीक से भरा पड़ा है।
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ऑफिस में घुसते ही शौचालय से बदबू आती है। लोग दुर्गंध से परेशान हो जाते हैं। हालांकि डर से कुछ नहीं बोल पाते हैं। यहां पास में एसपी कार्यालय है। इस रास्ते से भी लोग वहां जाते हैं। शिक्षा विभाग और भवन के शौचालय का सैप्टिक टैंक है। यहां का गंदा पानी सीधे रोड पर बहता रहता है। इससे पार कर ही लोगों को आना-जाना पड़ता है।
यहां के कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारी और पदाधिकारी ने भी विभाग से इसकी साफ सफाई की मांग की थी। हालांकि किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस बारे में पूछने पर कोई भी वरीय अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।