50 साल बाद मांगें हुई पूरी, खुशी से झूम उठे गांव के लोग

झारखंड
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विवेक चौबे

गढ़वा। इस गांव के लोगों की मांग 50 साल बाद पूरी हुई। इसके बाद लोग झूम उठे। सोन नदी में तटबंध निर्माण होने की स्वीकृति मिल गई है। इसकी सूचना पर झारखंड के गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सोन तटीय गांव के लोगों में खुशी व्याप्त हो गई है।

ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 50 वर्षों से भी पुरानी इस क्षेत्र के लोगों की चिरपरिचित मांगे आज पूरा होने जा रही है। सोन नदी तटबंध निर्माण संघर्ष समिति (हेंठार) के सदस्यों सहित सोनपुरा गांव सहित अन्य गांव के  लोगों ने पलामू सांसद बीडी राम को बधाई दी है। सभी ने बताया कि सांसद ने वर्षों पुरानी मांगे पूरा कर दी है।

ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष, 2002 में कांडी के दौरे पर आए झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को संघर्ष समिति के लोगों ने तटबंध निर्माण कराने की मांग पत्र सौंपा था। इसकी स्वीकृति 20 वर्षों बाद मिली। यह खबर सुनकर बाढ़ पीड़ित हेंठारवासी जश्न मना रहे हैं।

सोनपुरा गांव के 92 वर्षीय रमन मेहता, बुनियाद बिगहा के 80 साल के रामसुंदर पासवान व सोनपुरा के ही 82 वर्षीय सुदर्शन यादव ने बताया कि सोन नदी में तटबंध नहीं होने से अब तक इस क्षेत्र का बहुत नुकसान हो चुका है। कभी भडुआ नामक नदी बॉर्डर हुआ करता था, जो वर्तमान में ढाई किलोमीटर दूर सोन नदी में समा चुका है। सोन नदी ढ़ाई किलोमीटर दक्षिण आ गया है। यहां पर तीन किस्म का खेत हुआ करता था। पहली किस्म का खेत सोन नदी में समा चुका है। दूसरा खेत मुख्य सड़क से उत्तर की तरफ है। तीसरी किस्म का खेत सड़क से दक्षिण की ओर है। हजारों एकड़ जमीन सोन नदी की धार में समा चुका है, जो यहां के लोगों की रैयती जमीन है। उसे सरकार ने सरकारी घोषित कर दी है। उक्त जमीन के कागजात किसानों के पास हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि सोन नदी में तटबंध नहीं होने से दर्जनों गांव सोन नदी में समा चुके हैं। इसमें महतवाना, पाठकपुरा, कनकपूरा, गुजरिया, नावाडीह, किशुनपुर, पीड़राहा, चुटिया, पिपरा, लेमुआटिकर शामिल है। सोनपुरा स्टेट की 52 गली और 53 बाजार भी सोन नदी में समा चुके हैं। सोन नदी में तटबंध नहीं होने से अभी तक सोनतटीय गांव का काफी कुछ बर्बाद हो चुका है।

पलामू सांसद को बधाई देने वालों में भोला मेहता, सगुनी मेहता, सर्जकराज मेहता, सुरेन्द्र प्रजापति, नरेश मेहता, उमेश मेहता, संजय मेहता, शंकर मेहता, कृष्णा राम, पुनीत राम, जोखन कुमार, ऋषिकांत कुमार, रंजन कुमार, अंगद कुमार, चंदन कुमार, संतोष पाण्डेय, कुलदीप यादव, सुदर्शन मेहता, पप्पू मेहता, सीता राम मेहता, रस्म सुंदर राम, नीरज यादव सहित काफी संख्या में ग्रामीण शामिल थे।