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डीजल डंपरों को एलएनजी में बदल रहा है कोल इंडिया

देश नई दिल्ली
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  • डीजल उपयोग को 40 प्रतिशत तक कम करने की उम्‍मीद
  • ईंधन पर सालाना 500 करोड़ रुपये की बचत का अनुमान

नई दिल्‍ली। कार्बन फुटप्रिंट को और कम करने के लिए कोल इंडिया, कोयला मंत्रालय ने हाल ही में खदानों में कोयले के परिवहन में लगे डंपरों में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) किट को फिर से लगाने की प्रक्रिया शुरू की है। दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी सीआईएल 3,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के साथ प्रति वर्ष 4 लाख किलोलीटर डीजल का उपयोग करती है।

कंपनी ने गेल (इंडिया) लिमिटेड और बीईएमएल लिमिटेड से समझौता किया है। इसके माध्‍यम से अपनी सहायक कंपनी महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) में संचालित अपने 100 टन के दो डंपरों में एलएनजी किट को फिर से लगाने के लिए पायलट परियोजना शुरू की है। एक बार एलएनजी किट के सफलतापूर्वक पुन: फिट और परीक्षण के बाद ये डंपर दोहरे ईंधन प्रणाली पर चलने में सक्षम होंगे। एलएनजी के उपयोग के साथ उनका संचालन काफी सस्ता और स्वच्छ होगा।

सीआईएल के पास ओपनकास्ट कोयला खदानों में संचालित 2500 से अधिक डंपर हैं। बेड़े में सीआईएल द्वारा उपयोग किए जाने वाले डीजल की लगभग 65 से 75 प्रतिशत खपत होती है। डीजल के उपयोग के स्‍थान पर एलएनजी के उपयोग को 30 से 40 प्रतिशत तक बदलने से ईंधन की लागत में लगभग 15 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। डंपर सहित सभी भारी अर्थ मूविंग मशीनों को एलएनजी किट के साथ रेट्रोफिट किये जाने से सालाना 500 करोड़ रुपये की बचत का मार्ग प्रशस्त होता है।

परियोजना की लागत अर्थशास्त्र का मूल्यांकन पायलट परियोजना के पूरा होने और डंपरों के प्रदर्शन पर तकनीकी अध्ययन के बाद किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के साल के अंत तक पूरा होने की संभावना है। परिणाम के आधार पर सीआईएल अपने एचईएमएम, विशेष रूप से डंपरों में एलएनजी के बड़े पैमाने पर उपयोग के बारे में निर्णय करेगी। यदि परियोजना सफल हो जाती है तो सीआईएल केवल एलएनजी इंजन के साथ एचईएमएम खरीदने की योजना बनायेगा। इससे इसके कार्बन पदचिह्न को काफी कम करने और स्थायी लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

विश्व स्तर पर, उच्च क्षमता वाले खनन डंप ट्रकों में एलएनजी हाइब्रिड ऑपरेशन अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, रूस और घाना द्वारा लागू किया गया है।