आत्महत्या के कारण और लक्षणों की पहचान पर शिक्षकों को किया जागरूक

झारखंड
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  • कैराली स्‍कूल में केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान ने किया कार्यक्रम

रांची। झारखंड की राजधानी रांची के कांके स्थित केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मना रहा है। इस क्रम में संस्‍थान के मानसिक सामाजिक कार्य विभाग ने 7 अक्‍टूबर को कैराली स्कूल में शिक्षक जागरुकता पर कार्यक्रम किया। इसका उद्देश्य आत्महत्या के कारण और लक्षणों की पहचान करना था।

कार्यक्रम का उद्घाटन संस्‍थान के निदेशक डॉ बासुदेब दास ने किया। इस अवसर पर उन्होंने मानसिक बीमारी से जुड़े मिथक और गलत अवधारण के बारे में बताया। संवेदीकरण कार्यक्रमों के माध्यम से इसे मिटाने की आवश्यकता बताई। उन्‍होंने कहा कि मौजूदा महामारी के कारण हमने जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का अनुभव किया है। बच्चे ऑनलाइन क्लास करने लगे। सीखने के लिए स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने लगे। हालांकि स्क्रीन का ज्‍यादा इस्तेमाल करने से उसके अपने दुष्प्रभाव भी होते हैं। इनका ठीक से ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। हर 40 सेकंड में एक मौत आत्महत्या के कारण हो रही है। अगर हम एक जीवन बचा सकते हैं तो यह सफल होगा।

एसोसिएट प्रोफेसर (मनोचिकित्सा) और एर्ना होच सेंटर फॉर चाइल्ड एंड अडोलेसेंट साइकियाट्री के प्रभारी डॉ निशांत गोयल ने आत्महत्या के कृत्य पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि कई बच्चे और किशोर परिवार के सदस्यों को धमकाते हैं। हम कभी नहीं जानते कि यह प्रवृत्त‍ि कब वास्तविक आत्महत्या बन जाता है। इसलिए, आत्महत्या की योजना बनाने वालों की हम कब, कैसे, कहां मदद कर सकते हैं, इसकी तत्काल आवश्यकता है। इसपर शिक्षक को उचित सलाह दी।

एसोसिएट प्रोफेसर (मनोचिकित्सा) डॉ वरुण मेहता ने कक्षा में आत्महत्या से जुड़ी वैज्ञानिक शब्दावली की व्याख्या की। उन्होंने शिक्षकों को आत्महत्या की चेतावनी संकेतों के बारे में भी बताया। साथ ही, आत्महत्या से जुड़े मनोसामाजिक समस्या पर भी प्रकाश डाला।

सहायक प्रोफेसर (क्लीनिकल ​​​​मनोविज्ञान) डॉ मधुमिता भट्टाचार्य ने बच्चों और किशोर में आमतौर पर पाए जाने वाले आत्‍म नुकसान से संबंधित व्यवहार और आत्महत्या से इसके संबंध पर चर्चा की। शिक्षको को इसकी रोकथाम के बारे में विस्तार से बताया।

एसोसिएट प्रोफेसर (मनोचिकित्सा सामाजिक कार्य) और मनोरोग सामाजिक कार्य विभाग के प्रभारी डॉ दीपंजन भट्टाचार्जी ने धन्यवाद किया l श्रीमती विजया लक्ष्मी दोराई, श्रीमती मिट्टू मुथु वर्गीस और डॉ प्रसाद रेड्डी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया।