जमशेदपुर। टाटा स्टील ने 5 से 7 अक्टूबर तक टाटा स्टील फायर रिस्पॉन्डर्स के लिए नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) द्वारा संचालित ‘हाई राइज रोप रेस्क्यू ट्रेनिंग’ हुआ। समापन समारोह में वाईस प्रेसिडेंट (कॉर्पोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी और अध्यक्ष (टाटा वर्कर्स यूनियन) संजीव कुमार चौधरी मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि थे। साथ ही, यूनियन के कोषाध्यक्ष हरि शंकर सिंह और एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट आलोक कुमार भी उपस्थित थे।
चाणक्य चौधरी ने कहा कि कंपनी के पास मजबूत प्रोसेस सेफ्टी सिस्टम है। फिर भी विभिन्न कारणों जैसे जहरीली गैसों के रिसाव, ऊंची-ऊंची संरचनाओं में आग और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण आपात स्थिति पैदा हो सकती है। दमकल विभाग को ऐसी स्थितियों के लिए प्रभावी ढंग से और कुशलता से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से मिली सीख का अभ्यास करने की सलाह दी।
चीफ सेक्युरिटी ऐंड ब्रांड प्रोटेक्शन गोपाल प्रसाद चौधरी ने अतिथियों को इस तीन दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रासंगिकता से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि बिष्टुपुर में होटल जिंजर के पास 24 फरवरी, 2021 को आयोजित ऑफ-साइट मॉक ड्रिल की सिफारिश के आधार पर जिला प्रशासन ने टाटा स्टील से फायर कर्मियों के लिए विशेष हाई राइज रेस्क्यू ऑपरेशन प्रशिक्षण आयोजित करने का अनुरोध किया था, ताकि एनडीआरएफ की टीम के पहुंचने से पहले दमकलकर्मी रेस्क्यू ऑपरेशन करने में सक्षम बन सकें।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में फायर ब्रिगेड के कुल 21 रिस्पांडर्स ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम 5 अक्टूबर को डब्ल्यूजीओ कांफ्रेंस हॉल में शुरू हुआ था, जिसमें श्री विजय सिन्हा, कमांडेंट एनडीआरएफ, श्री आलोक कुमार, डिप्टी कमांडेंट एनडीआरएफ समेत एनडीआरएफ के अन्य फैकल्टी मेंबर और टीएसएल फायर ट्रेनी ने भी हिस्सा लिया।
ऊंची इमारतों के लिए टाटा स्टील फायर रिस्पॉन्डर की क्षमता बढ़ाने हेतू टाटा स्टील वर्क्स में एनडीआरएफ टीम के साथ नियमित मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम से मिली सीख के आधार पर उपकरणों की खरीद की जाएगी, जिनका उपयोग हाई राइजन रेस्क्यू कार्यों के लिए किया जाएगा।
एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट ने रोप रेस्क्यू तकनीकों के नियमित अभ्यास पर जोर दिया। संजीव कुमार चौधरी ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा और दमकल कर्मियों के लिए एक प्रशिक्षण अकादमी विकसित की जानी चाहिए, ताकि आंतरिक प्रशिक्षण क्षमता को बढ़ाया जा सके।