जमशेदपुर। जर्मनी के तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्र मंत्री डॉ. लुडविग एरहार्ड 14 अक्टूबर, 1958 को स्टील सिटी आई थीं। वे 6 से 10 अक्टूबर, 1958 को नई दिल्ली में आयोजित बैंक-फंड सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आए थे।
डॉ एरहार्ड ने एक विशेष ट्रेन में कलकत्ता (अब कोलकाता) से जमशेदपुर की यात्रा की। उनके साथ भारत में जर्मन राजदूत डॉ विल्हेम मेल्चर्स, केंद्रीय इस्पात मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह और संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के आर्थिक मामलों के आयुक्त बी के नेहरू भी थे।
टाटानगर रेलवे स्टेशन पर डॉ लुडविग एरहार्ड का स्वागत टाटा संस के तत्कालीन चेयरमैन जेआरडी टाटा, तत्कालीन वाईस चेयरमैन जेडी चोकसी, टाटा स्टील के तत्कालीन डायरेक्टर-इन-चार्ज सर जहांगीर जे धांदी समेत सरकारी अधिकारियों और जमशेदपुर में अपने परिवार के साथ रह कर काम करने वाले कई जर्मन नागरिकों ने स्वागत किया।
डॉ एरहार्ड को जुबली पार्क और स्टील वर्क्स का भ्रमण कराया गया। वे जर्मनों को भारतीयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हुए और देश के औद्योगिक विकास के लिए उनके तकनीकी कौशल प्रदान करते देख कर प्रसन्न हुए।
कंपनी के दो मिलियन टन के कार्यक्रम में श्लोमैन का 46’ ब्लूमिंग मिल, डीमैग का शीट बार व बिलेट मिल, सैक का मीडियम व लाइट स्ट्रक्चरल मिल, लुर्गी का सिंटर प्लांट और डिडिएर की कोक ओवन बैटरी भारत-जर्मन के गहरे संबंधों की गवाही देते हैं।