नवाटोली जमुवारी में सिंगबोगा जतरा में दिखी झारखंडी संस्कृति

झारखंड धर्म/अध्यात्म
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  • सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा है जमीन : रतन तिर्की

रांची। कांके प्रखंड के बाढू-नवाटोली में सोमवार को सिंगबोंगा जतरा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बाढ़ू, नवाटोली, जमुवारी, बरवाटोली, सेमरटोली, मदनपुर सहित दर्जनों गांव के खोड़हा पारंपरिक परिधान में सामूहिक नृत्य करते जतरा स्थल पहुंचे।

बाढू मौजा के जगदीश पहान ने जतरा खूंटा की पारंपरिक सिंगबोंगा की विधिवत पूजा अर्चना की। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक रतन तिर्की, अशोक उरांव, मनीष उरांव, अध्यक्ष योगेन्द्र उरांव, गीताश्री उरांव, निरंजन कालिंदी, सुरेश बैठा, महेन्द्र पीटर तिग्गा ने इष्टदेवों को खुश करने के लिए मुर्गे और बकरे की बलि भी दी।

मुख्य संरक्षक रतन तिर्की ने कहा कि रांची विवि के नवीन परिसर के लिए सरकार द्वारा जबरन कृषि योग्य भूमि अधिग्रहण का किया जा रहा था। विस्थापन के खिलाफ लंबे संघर्ष की जीत का इतिहास है। संघर्ष कर जल, जंगल, जमीन पर मालिकाना हक पाया है। आनेवाले दिनों में जिसकी भी सरकार हो जमीन से बेदखल हमें नहीं करो। जमीन हमारी सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा है। जमीन हमारी जिम्मेवारी है, हमारी मां-बहनें हैं।

इसके अलावा पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, जमील अख्तर, सुरेश कुमार बैठा, निरंजन कालिंदी, अनि‍ल ठाकुर, महेन्द्र पीटर तिग्गा, लबली कुमारी, राजमती ने भी संबोधित किया। देर रात स्थनीय कलाकारों द्वारा रंगारंग नागपुरी गीत संगीत का कार्यक्रम हुआ। इसमें हजारों लोगों ने रात भर आनंद लिया।

जतरा के सफल आयोजन में अध्यक्ष योगेन्द्र उरांव, राजेश तिर्की, शिवशंकर उरांव, जगेश्‍वर महली, शि‍बू भोक्ता, सालिक लोहरा, बिरबल उरांव, चम्पा उरांव, महमूद आलम, बुधदेव उरांव, अनु उरांव, पुनिता कुजूर, प्रतिमा देवी, रुपमनी देवी, सावित्री देवी, मनीता देवी सहित अन्य लोगों की सक्रिय भूमिका रही।