झारखंड के सीएम हेमंत के बयान से बिहार में भी गरमायी राजनीति, इसे बताया पांच करोड़ भोजपुरी भाषी का अपमान

झारखंड बिहार
Spread the love

पटना। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के बयान से बिहार में भी राजनीति गरमा गयी है। कहा गया कि यह विश्व भर के 5 करोड़ भोजपुरी भाषियों का अपमान है।

बता दें कि हेमंत सोरेन के अलगाव भरे बयान पर बिहार में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। यहां के लोगों ने इस पर जोरदार विरोध जताते हुए इसकी निंदा की है। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन ने भोजपुरी भाषी लोगों को बलात्कारी की संज्ञा दी है। यह बहुत ही दुखद है, जबकि पूरे विश्व में पांच करोड़ भोजपुरी भाषी हैं।

इस विवादित बयान पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विभाजन की राजनीति कर रहे हैं। उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम विधायक दल के नेता अख्तरुल इमान ने भी झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के अलगाववादी बयान की निंदा की। कहा, एक जिम्मेदार नेता को इस तरीके का बयान नहीं देना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने बिहार के स्वाभिमान के हमले पर कुछ खुल कर नहीं बोला, लेकिन ये जरूर कहा कि किसी भी घटना या दुर्घटना के लिए कोई व्यक्ति दोषी हो सकता है, लेकिन भाषा दोषी नहीं हो सकती। हर भाषा समाज को एकसूत्र में पिरोना का काम करती है।

भारतीय जनता पार्टी बिहार प्रदेश के महामंत्री व दीघा विधानसभा क्षेत्र से विधायक डॉ. संजीव चौरसिया ने कहा कि इस प्रकार की भाषा और मानसिकता आपसी सद्भाव को खराब करती है। वोट की राजनीति के लिए इतना नीचे नहीं गिरना चाहिए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऐसा बयान देकर बिहार का अपमान किया है, जबकि उनके कई विधायकों को भोजपुरी और मगही भाषी मतदाताओं ने जिता कर भेजा है। उन्होंने कहा कि राज्य के मुखिया होकर समन्वय बनाने के बदले राज्य को भाषा के आधार पर बांट रहे हैं। आज सबको साथ लेकर समन्वय बनाते तो सभी के प्रयास से सबका विकास होता। इससे झारखंड के विकास का पैमाना भी कुछ और होता।

जानिए हेमंत ने आखिर कहा क्या है

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भोजपुरी और मगही को लेकर बयान दिया है। हेमंत ने कहा- दोनों भाषाएं बोलनेवाले लोग डोमिनेटिंग होते हैं। भोजपुरी और मगही बिहार की भाषा है, झारखंड की नहीं। एक इंटरव्यू के दौरान हेमंत ने कहा कि झारखंड आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों की छाती पर पैर रख कर महिलाओं की इज्जत लूटते वक्त भोजपुरी भाषा में ही गाली दी जाती थी।

भोजपुरी और हिन्दी भाषा की बदौलत अलग राज्य की लड़ाई नहीं लड़ी गयी। इन भाषाओं को प्रश्रय देने से राज्य का बिहारीकरण हो जायेगा। किसी भी हालत में झारखंड का बिहारीकरण नहीं होने देंगे।