जाते थे जापान, पहुंच गए चीन, समझ गए ना ….

झारखंड
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प्रशांत अंबष्‍ठ

बोकारो। काफी दिनों पहले एक फिल्‍म ‘चलती का नाम गाड़ी’ आई थी। इसमें हरफनमौला गायक किशोर कुमार का एक गाना है। इसके बोल हैं, ‘जाते थे जापान, पहुंच गए चीन, समझ गए ना…’। यह गीत बैंक ऑफ इंडिया की लालपनिया शाखा पर एकदम सटीक बैठती है।

दरअसल, बैंक शाखा की लापरवाही से तुलबुल ग्राम निवासी 71 वर्षीय झलवा देवी (पति स्वर्गीय अर्जुन ठाकुर) की पेंशन दूसरे के खाते में जा रही है। उनकी राष्ट्रीय विधवा पेंशन की राशि पिछले करीब 3 वर्षों से किसी नेमचंद प्रजापति नामक व्यक्ति के बैंक खाता में जा रहा है। बोकारो के जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग झलवा की बैंक की ललपनिया शाखा के बैंक खाता एवं आधार संख्या क्रमश: (586810110005060 एवं 30727545 7131) पर भेजा जा रहा है। यह बिल्कुल सही है। हालांकि बैंक में यह राशि बैंक खाता (संख्या 586810110005061) में चला जा रहा है। यह किसी नेमचंद प्रजापति नामक व्यक्ति का है।

झलवा देवी ने बताया कि यह सिलसिला पिछले करीब 3 वर्षों से हो रहा है। वह बैंक को कई बार इसकी जानकारी दे चुकी है। हालांकि प्रबंधक द्वारा ना तो सुधार किया गया और ना ही पैसे को होल्ड किया गया। उक्त महिला ने गोमिया प्रखंड विकास पदाधिकारी को लिखित आवेदन देकर मामले में समुचित कार्रवाई करने का आग्रह कि‍या है।

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्यकार्य समिति सदस्य एवं झारखंड आंदोलनकारी इफ्तेखार महमूद ने कहा कि झलवा देवी के मामले में बैंक शाखा स्तर से गड़बड़ी प्रतीत होती है। पेंशन का पैसा आधार कार्ड संख्या से हस्तानांतरित होता है। उनके आधार नंबर को बैंक खाता से जोड़ने में गड़बड़ी हुई है। इसके कारण पेंशन की राशि किसी और के खाते में चली जा रही है। उन्‍होंने कहा कि बैंक प्रबंधन उक्त गड़बड़ी को यदि नहीं सुधार पा रही है, तो पैसे को होल्ड कर देना चाहिए था। बैंक प्रबंधन ने जानकारी के बाद भी होल्ड करने का काम नहीं किया। ऐसे में प्रबंधन को निर्दोष नहीं कहा जा सकता है।