- गन्ना और जैविक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत
- बीएयू में 18वीं बीज परिषद् की बैठक का समापन
रांची। राज्य में गन्ना और जैविक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है। इस वर्ष बीएयू द्वारा संचालित गौरिया करमा फार्म (हजारीबाग) के 50 एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती का लक्ष्य रखा गया है। सभी 16 कृषि विज्ञान केंद्रों को क्रॉप कैफिटेरिया स्थापित करने को कहा गया है। इसमें बायोफोर्टीफाइड क्रॉप को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा। पंद्रह अगस्त के बाद विवि के वरिष्ठ पदाधिकारी निरीक्षण के लिए केवीके जाएंगे। झारखंड में बीज उत्पादन को बढ़ाने में कृषि मंत्री और विभागीय अधिकारियों का सतत सहयोग मिल रहा है। इसके सुखद परिणाम दिखने लगे हैं। प्रतिवर्ष किन-किन फसलों, किन-किन किस्मों से कितना रकबा से आच्छादित किया जाएगा और कितनी मात्रा में बीज उत्पादन होगा, इससे संबंधित अग्रिम बीज रौलिंग प्लान को तैयार कर विभिन्न क्रेता एजेंसियों को सौंपने की आवश्यकता है। उक्त विचार बीएयू में आयोजित 18 वीं बीज परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने व्यक्त किये।
परिषद् के विशेषज्ञ डॉ एनपी सिंह (निदेशक, भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर) ने कहा कि झारखंड में दलहन उत्पादकता का स्तर पूरे पूर्वी भारत और उत्तर भारत (राजस्थान छोड़कर) से अधिक है। राज्य में चना के क्षेत्र और उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। दलहन उत्पादन संबंधी प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए कानपुर आनेवाले सर्वाधिक किसान झारखंड और मध्य प्रदेश के ही होते हैं। राज्य के किसान गंभीरता से सीखने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि जिन पौधा प्रजनन वैज्ञानिकों ने उन्नत फसल प्रभेदों का विकास किया है, उसे आगे बढ़ावा देने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की बनती है। झारखंड की आवश्यकता का 10 % गुणवत्तायुक्त बीज का उत्पादन बीएयू के बीज एवं प्रक्षेत्र निदेशालय, कृषि विज्ञान केंद्रों, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों और अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं को मिलकर करना चाहिए। उत्पादित बीजों का सामयिक विपणन के लिए भी प्रयास करना चाहिए। किसानों को महसूस होना चाहिए कि ऐसा बीज कहीं नहीं मिलेगा। विश्वविद्यालय द्वारा उत्पादित बीज हॉट केक की तरह तुरंत बिक जाएं।
मौके पर डॉ ऋषि पाल सिंह (डायरेक्टर सीड एंड फार्म) ने बीज परिषद की 18वीं बैठक में वर्ष 2020-21 उपलब्धि प्रतिवेदन और वर्ष 2021-22 की कार्ययोजना को रखा। कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक खाद्य उत्पादकता 3 टन प्रति हेक्टेयर है, जबकि झारखंड में मात्र 2 टन है। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्नत बीजों का उत्पादन एवं इस्तेमाल बढ़ाना होगा। वर्ष 2021-22 के खरीफ एवं रबी मौसम के अंतर्गत धान्य, दलहनी एवं तिलहनी फसलों के विभिन्न श्रेणियों (प्रजनक, आधार, प्रमाणित बीज) के लगभग 10 हजार क्विंटल गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से संचालित 5 सीड हब में दलहनी फसलों के 5 हजार क्विंटल बीज उत्पादन शामिल है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत बीज ग्रामों में पैदा किए जाने वाला बीज उत्पादन अतिरिक्त होगा।
अनुसंधान निदेशक डॉ ए वदूद ने राज्य के उपयुक्त विभिन्न फसलों के किस्मों के विकास की दिशा में शोध एवं न्यूक्लियस सीड व ब्रीडर सीड उत्पादन विषय पर प्रकाश डाला। प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव ने जिला स्तर पर कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से पल्स सीड हब कार्यक्रम एवं किसानों की सहभागिता से बीज ग्राम की उपलब्धियों को बताया।
बैठक में डॉ रवि कुमार ने नेशनल सीड प्रोग्राम, उपनिदेशक (कृषि) संतोष कुमार सिन्हा ने सरकार के बीज उत्पादन एवं बीज विनिमय कार्यक्रम एवं एनएससी क्षेत्रीय प्रबंधक सुरेंद्र कुमार ने राष्ट्रीय बीज निगम के गतिविधियों पर अपने विचारों को रखा। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शशि सिंह और पल्स सीड हब को-ऑर्डिनेटर डॉ सीएस महतो ने ज्ञापन किया। बैठक में डॉ एमएस यादव, डॉ सुशील प्रसाद, डॉ एमएस मल्लिक, डॉ एमके गुप्ता, डॉ डीके शाही एवं केवीके वैज्ञानिकों ने भाग लिया।