रांची। जेपीएससी सचिव और जेएसएससी अध्यक्ष को पद से हटाये जाने के बाद ही दोनों संस्थानों द्वारा कोई नई परीक्षा ली जाए। उक्त मांगें अभ्यर्थियों ने की है। उनका कहना है कि कोर्ट निर्णय के बावजूद भी सरकार ने इन अधिकारियों को पदमुक्त नहीं किया। इससे आने वाली परीक्षाओं में भी गड़बड़ी की प्रबल आशंका है।
जेपीएससी अभ्यर्थी उमेश प्रसाद ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय ने फैसले में स्पष्ट कहा है कि मेरिट लिस्ट बनाने में गड़बड़ी करने वाले दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। यदि नहीं की जाती है तो आगामी परीक्षाओं में भी निष्पक्ष और पारदर्शिता देखने को भी नहीं मिलेगा। तत्कालीन जेपीएससी चेयरमैन सुधीर त्रिपाठी ने अपने कार्यकाल में फाइनल रिजल्ट तैयार करने में अनियमितता बरती। वर्तमान में वे JSSC के चेयरमैन हैं। ऐसे में वे यहां भी गड़बड़ी कर सकते हैं।
जेपीएससी के सचिव ज्ञानेंद्र कुमार को बनाये जाने पर छात्रों ने कहा कि इनके कार्यकाल में छठी जेपीएससी में अनियमितता बरती गई। आने वाली परीक्षाओं में भी ये गड़बड़ी कर सकते हैं। इसलिए इनको भी जेपीएससी के सचिव पद से हटाया जाना चाहिए। राज्य भर के छात्रों को दोनों पदाधिकारियों को हटाने का सरकार से आग्रह किया है।
अभ्यर्थियों ने कहा कि छठी जेपीएससी की मुख्य परीक्षा का रिजल्ट वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल में निकला। इसके बाद साक्षात्कार कराया गया। 21 अप्रैल, 2020 को फाईनल रिजल्ट आया। इसके बाद अभ्यर्थियों ने आयोग पर प्रथम पेपर को मेरिट मे जोड़ने और न्यूनतम अर्हता का पालन नहीं करने की गड़बड़ी की शिकायत की। सुधार के लिए आयोग को सूचित किया। हालांकि गड़बड़ी की बात परीक्षा नियंत्रक नकारते रहे। तत्कालीन चैयरमेन सुधीर त्रिपाठी परीक्षा नियंत्रक पर दोषी मढ़ते रहे।
कोर्ट के नियुक्ति को गलत करार दे दिये जाने पर सब कुछ साफ हो गया। इसके बाद भी इनलोगों पर कारवाई नहीं की जा रही है। मतलब साफ है कि सरकार इनका बचाव कर रही है।