अनिल बेदाग
मुंबई। सुशांत सिंह राजपूत की पुण्यतिथि पर उनको श्रंद्धाजलि देते हुए निर्देशक सनोज मिश्रा ने अपनी फिल्म ‘शशांक’ का पोस्टर लॉन्च किया। सनोज मिश्रा ने इस फिल्म का निर्माण जब शुरू किया, तब बॉलीवुड के गलियारों में इस बात की चर्चा होने लगी कि यह फिल्म सुशांत सिंह राजपूत की बॉयोपिक है। सनोज मिश्रा कहते हैं कि यह सुशांत सिंह राजपूत की बॉयोपिक नहीं है। उनसे प्रेरित जरूर है। आज बॉलीवुड में किस तरह से राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार होकर लोग आत्महत्या या हत्या जैसा कदम उठाते हैं। इसी पर यह फिल्म आधारित है। इसमें आर्य बब्बर, राजवीर सिंह, रवि सुधा चौधरी, अपर्णा मालिक, मुस्कान वर्मा की प्रमुख भूमिका है।
रुद्रांश एंटरटेनमेंट, रोर प्रोडक्शन, सनोज मिश्रा फिल्म्स, परमार प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता रवि सुधा चौधरी, मारुत सिंह, संजय धीमान, को-प्रोड्यूसर रमेश परमार, डीओपी नीतू इकबाल सिंह, एडिटर योगेश पांडेय, डायलॉग रेनू यादव और म्यूजिक डायरेक्टर आदित्य गौर -चंदन दुबे हैं।
सनोज मिश्रा ने बताया कि ‘शशांक’ बनाने के लिए मेरे पास पर्याप्त विषय सामग्री थी। मैंने अपनी जिंदगी के 26 साल बचपन से लेकर अभी तक का समय बॉलीवुड में बिताया है। उसके हर एक पहलू की एक अलग कहानी है। एक अलग हकीकत है। सुशांत सिंह राजपूत ने मुझे यह बल दिया कि मैं इस पर फिल्म बनाऊं। मैंने पटना से ही इस विषय पर फिल्म बनाने की घोषणा कर दी। मैंने पूरी तरह से स्पष्ट किया था कि यह फिल्म सुशांत सिंह राजपूत की बायोपिक फिल्म नहीं होगी, क्यों उसकी वजह यह थी कि मैं जिस वक्त इनके परिवारजनों और केके सिंह से मिला था, उस वक्त उनकी मनोदशा बहुत ही विषम थी। बहुत ही प्रॉब्लम में थे लोग और मैं भी सिर्फ उन्हें दिलासा ही दे पाया। मुझे लगा कि इस वक्त फिल्म या आत्मकथा के बारे में बात करना उस माहौल में उचित नहीं था। इसलिए मैंने कहा कि मैं इस फिल्म को बायोपिक नहीं बनाऊंगा।

फिल्म का बजट ओवर हो रहा था, लेकिन फिर भी हमारे निर्माता हमारा साथ देते रहे। फिल्म आगे बनती गई और जब यह फिल्म चर्चा में आई, तब सुशांत की बहन श्वेता सिंह कीर्ति ने ट्विटर पर हमारी फिल्म का बहिष्कार किया। उनके बहिष्कार ने पूरे देश में फिल्म शशांक के लिए नकारात्मक माहौल बना दिया, मानो मैंने ही सुशांत की हत्या की हो।
पूरे देश में सुशांत को लेकर संवेदनाएं थी। लोगों ने बिना जाने समझे जी भर कर गालियां और धमकियां दी। मैं खामोशी से सब देखता रहा। फिल्म के बहिष्कार से फिल्म में निवेश कर रहे लोग दूर हट गए, क्योंकि उनको लगा कि फिल्म विवादों में आकर बंद हो जाएगी। पैसा डूब जायेगा। फिल्म शशांक आधी से अधिक बनकर रुक गई।
परिस्थितियां बनी और कुछ नए लोग साथ जुड़े और कई महीने के बाद फिल्म फिर से शुरू हो पाई। इससे पहले कि फिल्म को रिलीज के लिए तैयार किया जाता, एक और बड़ी मुसीबत का सामना पिछले महीने तब हो गया जब स्व सुशांत सिंह राजपूत के पिता केके सिंह ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में केस दर्ज करा दिया। उन्होंने बिना जाने समझे केस के साथ ही 2 करोड़ के हर्जाने की भी गुहार लगा दी।
न्यायालय में हमने भी अपना पक्ष रखा। तमाम दलीलों के बीच न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा। अब न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए केके सिंह की याचिका को खारिज कर दी। सत्य की जीत हुई और आगे भी हो।