‘मेरे पिताजी की साईकिल’ पर सुरेन्द्र सिंह राजपूत और डॉ आशा गुप्ता प्रथम विजेता

देश मध्य प्रदेश
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इंदौर (मप्र)। कोपलों को प्रोत्साहन, हिंदी लेखन को बढ़ावा और मातृभाषा हिंदी के सम्मान की दिशा में हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार के प्रयास सतत जारी हैं। इस क्रम में ‘मेरे पिताजी की साईकिल’ (अंतरराष्ट्रीय साईकिल दिवस) विषय पर स्पर्धा कराई गई। इसमें प्रथम विजेता सुरेन्द्र सिंह राजपूत ‘हमसफर’ और आशा गुप्ता ‘श्रेया’ घोषित किए गए, जबकि दूजा स्थान श्रीमती चांदनी अग्रवाल और ममता तिवारी ने पाया है।

मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने यह जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि इस 32वीं स्पर्धा में भी सबने खूब उत्साह दिखाया। अनेक प्रविष्टियों में से श्रेष्ठता अनुरुप चयन और प्रदर्शन के बाद निर्णायक मंडल ने गद्य विधा में देवास (मप्र) के सुरेन्द्र सिंह राजपूत ‘हमसफर’ (उनका मान सम्मान स्वाभिमान थी साइकिल) को प्रथम माना।

इसी तरह ‘हर कदम पर प्रेरणादायक पापा और साईकिल’ के लिए श्रीमती चांदनी अग्रवाल (दिल्ली) को दूसरा एवं डॉ अर्चना मिश्रा शुक्ला (कानपुर, उप्र) को तीसरा स्थान (कर्मपथ की साथी साईकिल) दिया गया। इसी वर्ग में दिल्ली वासी मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ ने विशेष (चौथा) स्थान प्राप्त किया है।

मंच की संयोजक सम्पादक प्रो डॉ सोनाली सिंह एवं मार्गदर्शक डॉ एमएल गुप्ता ‘आदित्य’ ने सभी विजेता और सहभागियों को हार्दिक शुभकामनाएं-बधाई देते हुए सहयोग के लिए धन्यवाद दिया है।

सह-सम्पादक श्रीमती जैन ने बताया कि स्पर्धा के पद्य वर्ग में ‘मन में सजी पिताजी की साइकिल’ रचना पर डॉ आशा गुप्ता ‘श्रेया’ (झारखंड) ने पहली जीत पाई तो ‘बाबूजी की साईकल’ पर ममता तिवारी (छग) दूसरी विजेता बनीं। इसी वर्ग में राजस्थान से संजय गुप्ता ‘देवेश’ (घर की सदस्य होती) को तृतीय स्थान मिला। संदीप धीमान (उत्तराखंड) ने विशेष (चौथा) स्थान प्राप्त किया है।