पटना। बिहार में सियासी उठापटक का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लोजपा में फूट के बाद अब कांग्रेस में भी टूट के आसार हैं।
माना जा रहा है कि वर्तमान सरकार को स्थिर रखने के लिए राजनीतिक जोड़तोड़ जारी है। राज्य कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास के सूबे में दौरे के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष समेत चार कार्यकारी अध्यक्षों के भी बदले जाने की खबरें आ रही हैं। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की नींद उड़ गयी है।
अपनी कुर्सी बचाने और पार्टी को टूट से बचाने के लिए नेता दिल्ली का चक्कर लगा रहे हैं। यहां बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी में टूट के बाद कांग्रेस पार्टी अपने विधायकों और नेताओं को पूरी तरह से एकजुट रखना चाहती है।
पिछले दिनों भक्त चरण दास ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि हमारी पार्टी के विधायक चट्टान की तरह एकजुट हैं। कोई मतभेद नहीं है। इसके अलावा जेडीयू पर भड़कते हुए उन्होंने कहा था कि मैं भी जेडीयू को तोड़ सकता हूं, लेकिन जोड़तोड़ की राजनीति मैं नहीं करता।
मौजूदा हालात से ऐसा लग रहा है कि पार्टी के विधायक अब प्रदेश आलाकमान के कंट्रोल से बाहर हो रहे हैं। इधर, पार्टी के बिहार प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास के दौरे के बाद इस चर्चा ने भी जोर पकड़ लिया है कि सूबे में कांग्रेस के अध्यक्ष समेत चार कार्यकारी अध्यक्षों को भी हटाया जा सकता है।इस बार पार्टी की विशेष नजर पिछड़ी-अति पिछड़ी और दलित नेताओं पर है।
इधर, भक्त चरण दास भी सूबे में लगातार एक्टिव हैं। खुद फीडबैक लेने के साथ ही राज्य के नेताओं को दिल्ली भेजकर आलाकामान से मुलाकात करवा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहा। राजनीति के जानकारों की मानें तो कांग्रेस पार्टी में टूट की खबरों का यह भी एक अहम कारण हो सकता है।
अब पार्टी के कुछ नेता अपने साथ-साथ पार्टी की स्थिति मजबूत करने के लिए लगातार दिल्ली दरबार का चक्कर लगा रहे हैं। राजेश राम, प्रेमचंद मिश्रा, अनिल शर्मा, श्याम सुंदर सिंह धीरज, अखिलेश सिंह व कौकब कादरी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं, लेकिन इसके पहले कहीं पार्टी टूट ना जाए, इसे लेकर पार्टी आलाकमान की नींद उड़ी हुई है।