सतत यात्रा के 106 वर्ष : मिसेज कियोके मोनरो पेरिन मेमोरियल स्कूल

झारखंड शिक्षा
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जमशेदपुर। केएमपीएम स्कूल के नाम से प्रख्यात मिसेज कियोके मोनरो पेरिन मेमोरियल स्कूल की स्थापना 21 जून, 1915 को हुई थी। जमशेदपुर में स्थापित होने वाला यह पहला स्कूल था। मूल रूप से इसका भवन एक कोर्ट हाउस था, जिसे बाद में एक स्कूल में बदल दिया गया। इसमें दो भाषाओं हिंदी एवं बांगला में पढ़ाई शुरू की गयी। तीन साल बाद यहां बालिकाओं के लिए एक प्राइमरी स्कूल समेत मिडिल व हाई स्कूल भी शुरू कर दिया गया।

स्कूल का नामकरण चार्ल्स पेज पेरिन की पत्नी श्रीमती कियोके मोनरो पेरिन के नाम पर किया गया, जिन्हें जमशेदपुर में बच्चों की बुनियादी शिक्षा में गहन दिलचस्पी थी। छह विद्यार्थी का पहला बैच 1923 में ‘स्कूल लीविंग सर्टीफिकेट’ परीक्षा में बैठा। 1936 में पहली बार विद्यार्थियों को मुद्रित प्रश्न पत्र मिले। 1942 में स्कूल को मिलिटरी हॉस्पीटल में तब्दील कर दिया गया, जबकि स्कूल को साउथ पार्क मिडिल स्कूल भवन में स्थानांतरित कर दिया गया। 1946 में स्कूल वापस अपने मूल भवन में आ गया।

इन वर्षों के दौरान स्कूल ने कई परिवर्तन देखे। वर्तमान में इसे ‘जुस्को एजुकेशन मिशन फाउंडेशन की एक इकाई के रूप में ‘मिसेज केएमपीएम वोकेशनल कॉलेज’ के नाम से जाना जाता है। यह फाउंडेशन एक ट्रस्ट है, जिसे जमशेदपुर यूटिलिटीज ऐंड सर्विसेज कंपनी (अब टाटा स्टील यूटिलिटीज ऐंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड) द्वारा 2008 में स्थापित किया गया था। इस कॉलेज को कोल्हान यूनिवर्सिटी, चाईबासा, झारखंड से मान्यता प्राप्त है। कॉलेज में बीबीए, बीसीए, बी एससी (आईटी), बी एससी (पर्यावरण व जल प्रबंधन), बी एससी (गणित) और बी एससी (रसायन) की पढ़ाई होती है। 

पांच एकड़ के हरे-भरे वातावरण में फैला यह कॉलेज मेन रोड, बिष्टुपुर में स्थित है, जो कि बेहद आकर्षक लाल रंग के इंर्टों से बने भवन के साथ एक लैंडमार्क भी है।