बिहार में पंचायत चुनाव से पहले ढाई लाख जनप्रतिनिधियों को बड़ा झटका, जानिए डिटेल

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बिहार कोरोना की वजह से पंचायत आम चुनाव कराया जाना असंभव हो गया है. पंचायतों का कार्यकाल अब सिर्फ एक माह बच गया है जिसमें किसी भी हाल में चुनाव कराना संभव नहीं है। अब यह माना जा रहा है कि सरकार अगले पंचायत आम चुनाव संपन्न होने तक विशेष परिस्थिति में ढ़ाई लाख प्रतिनिधियों के कर्तव्यों के निर्वहन की जिम्मेदारी निभाने के लिए सभी स्तर प्रशासकों की नियुक्ति कर दिये जाये।

यह जिम्मेवारी प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर अनुमंडल पदाधिकारी और जिला उप विकास आयुक्तों को मिल जायेगी। इधर पंचायत आम चुनाव संपन्न नहीं होने की स्थिति में मुखिया महासंघ ने मुख्यमंत्री को कार्यकाल विस्तार करने को लेकर अनुरोध पत्र लिखा है। पंचायत आम चुनाव कराने की जिम्मेवारी राज्य निर्वाचन आयोग पर है। सरकार द्वारा पंचायत चुनाव कराने को लेकर सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध करा दिया गया।

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सभी तैयारियों के बाद पंचायत आम चुनाव कराने के लेकर मौन है.आयोग ने अभी तक चुनाव कराने की न तो घोषणा की और नहीं स्थगित करने का निर्णय लिया है। माना जा रहा है लॉकडाउन के बाद आयोग का कार्यालय खुलने के बाद इस पर आयोग निर्णय लेगा। आम चुनाव कार्य नहीं होने से राज्य के 8000 पंचायतों के मुखिया, सरपंच, एक लाख 10 हजार वार्डों के वार्ड सदस्य और पंचों का पद रिक्त हो जायेगा। साथ ही पंचायत समिति सदस्यों के 11497 पद और जिला परिषद सदस्यों के 1161 पद रिक्त हो जायेंगे। इन सदस्यों को कार्यकाल 10 जून से 30 जून तक पूरा हो रहा है।

पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह माना जा रहा है कि सरकार पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल का विस्तार नहीं दे सकती है. इसके लिए विशेष प्रावधान करना होगा। पंचायत आम चुनाव को लेकर सरकार की ओर से भी अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यह माना जा रहा है कि कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में कोई प्रस्ताव आयेगा। फिलहार राज्य सरकार की पूरी मशीनरी कोरोना महामारी से निबटने में जुटी है. साथ ही बारिश के मौसम में फिर प्रशासन बाढ़ कार्यों में जुट जायेगा।

बिहार प्रदेश मुखिया महासंघ ने पंचायत आम चुनाव नहीं होने से उत्पन्न स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है। मुखिया महासंघ के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया गया है कि अब पंचायत आम चुनाव असंभव दिख रहा है। ऐसी स्थिति में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के सभी प्रतिनिधियों की मांग है कि पंचायती राज अधिनियम के तहत जो प्रतिनिधियों को अधिकार दिया गया है, उसे आम चुनाव होने तक विसातर दिया जाये। किसी पदाधिकारी या अन्य व्यवस्था को अधिकार देने से सारा सिस्टम उथल-पुथल हो जायेगा। विकास की गति प्रभावित हो जायेगी।