रांची। पिछले एक पखवाड़े से प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कहीं छिटपुट तो कहीं अच्छी वर्षा हो रही। मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में मौसम ऐसे ही बने रहने की संभावना है। बिरसा कृषि विवि के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह इसे झारखंड के करीब सभी जिलों में प्री मानसून का दस्तक बताया।
कुलपति का कहना है कि इस समय खेतों की मिट्टी में पर्याप्त नमी मौजूद हैं। प्री मानसून की इस बारिश से किसानों को लाभ उठाना चाहिए। इस समय किसानों को अपने खाली पड़े खेतों की जुताई शुरू कर देनी चाहिए। वर्षा जल संचयन के लिए डोभा का निर्माण करना चाहिए। फल या लकड़ी के पौधे लगाने के लिए गड्ढों की खुदाई करें। मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए हरी खाद वाली फसलों की बुआई करनी चाहिए।
कुलपति बताते है कि इस समय खेतों में मौजूद नमी आगामी खरीफ फसलों खेती की तैयारी के लिए आदर्श स्थिति है। किसानों को आगामी खरीफ फसल के लिए खेतों तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
कुलपति ने कहा है कि प्रदेश के किसानों को इस समय टांड, दोन एवं माध्यम जमीन के खेतों में बढ़िया से मेढ़ बांधने और उसके बाद खेतों की 2-3 गहरी जुताई करने की जरूरत है। इसे अपनाने से खेतों में खर-पतवार नियंत्रित हो सकेगा। खेतों में मौजूद कीड़े – मकोड़े एवं विभिन्न रोगों के विषाणु नष्ट होंगे। इससे खरीफ फसलों की खेती लागत कम किया जा सकेगा।
कुलपति ने खेत में लगी फसलों की निकाई-गुड़ाई करने का सुझाव दिया, ताकि खेतों मिट्टी में नमी ज्यादा दिनों तक नमी बरकरार रहे। बताया कि इस समय खेतों में लगे लत्तरदार सब्जियों में फल लगना शुरू हो गया हो तो नीम से बना कीटनाशी जैसे अचुक/नीमेरीन/ नीमेसिडीन में से किसी एक दवा का 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर मौसम साफ रहने पर छिड़काव करनी चाहिए।
कुलपति ने रोपा धान के खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किसानों को खेतों में हरी खाद वाली फसल जैसे ढैंचा व सनई की बोआई 20-25 किलो प्रति एकड़ बीज की दर करने की सलाह दी।