रवि शंकर शर्मा
रांची। इनकम टैक्स दाखिल करने की तारीख बढ़ाकर 31 मई कर दी गई है। टैक्स से कैसे राहत मिल सकती है यह जानना जरूरी है। बजट-2021 में इनकम टैक्स की दरों में बदलाव ना करते हुए किसी भी वर्ग को कोई नयी राहत नहीं दी गई है। हालांकि, यह ध्यान रखना होगा कि आयकर की नई दरों का फायदा तब मिलेगा, जब आप किसी तरह के डिडक्शन और टैक्स छूट का फायदा नहीं लेंगे। जो करदाता डिडक्शन और टैक्स छूट का लाभ चाहते हैं वे टैक्स की पुरानी व्यवस्था में बने रह सकते हैं।
इन बातों को जानना जरूरी
आयकर रिटर्न भरने के बाद अगर आप पर टैक्स देनदारी बनती है तो आपको केंद्र सरकार को कर चुकाना पड़ता है। अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) खुद भर रहे हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि कितनी सालाना आमदनी पर सरकार कितना टैक्स लेती है। भारत में नौकरी, कारोबार या पेशे से आमदनी वाले हर व्यक्ति के लिए इनकम टैक्स चुकाना जरूरी है। इसके लिए शर्त यह है कि आपकी आमदनी टैक्स छूट की आम सीमा 2.5 लाख रुपये से अधिक हो। इस मामले में राहत सिर्फ उन्हीं लोगों को मिली हुई है, जिनकी कमाई बेसिक छूट की सीमा से कम है।
1.5 लाख के निवेश पर टैक्स छूट
अगर आप सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बचत वाले निवेश विकल्पों में पैसे लगाते हैं, तो इसके जरिये 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं।
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस), स्वैच्छिक प्रोविडेंट फंड (वीपीएफ) और इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80डी के साथ सेक्शन 24 के हिसाब से भी कुछ खर्च पर आप अलग से टैक्स बचा सकते हैं।
किसी व्यक्ति की कमाई पर इनकम टैक्स चरणबद्ध तरीके से लगता है। जैसे-जैसे आपकी कमाई बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे टैक्स का रेट भी ज्यादा होता जाएगा। वास्तव में इनकम स्लैब के हिसाब से टैक्स की दरें तय की जाती है। सरकार हर साल केंद्रीय बजट में इनकम टैक्स स्लैब रेट की समीक्षा करती है।
करयोग्य आमदनी अगर 2.5 लाख से पांच लाख रुपये के बीच है तो इस पर 5% टैक्स चुकाना पड़ेगा। यह ध्यान रखें कि कुल आमदनी में से टैक्स बचत के लिए किये गए निवेश एवं खर्च आदि पर टैक्स लाभ वाली रकम घटाने के बाद कर योग्य आमदनी निकाली जाती है।
इसी तर्ज पर पांच से दस लाख रुपये की आमदनी पर आपको इनकम टैक्स 20% की दर से चुकाना पड़ता था।
आम करदाता के लिए तीसरा इनकम टैक्स स्लैब 30% का था। इसके लिए आपकी सालाना करयोग्य आमदनी 10 लाख रुपये से अधिक होनी चाहिए।
एक आम भारतीय वरिष्ठ नागरिक के लिए 3 लाख रुपये तक की करयोग्य आमदनी टैक्स फ्री है। करयोग्य आमदनी अगर 3 लाख से पांच लाख रुपये के बीच है तो इस पर 5% टैक्स चुकाना पड़ेगा।
एक आम भारतीय वरिष्ठ नागरिक (सुपर सीनियर सिटीजन) के लिए 5 लाख रुपये तक की करयोग्य आमदनी टैक्स फ्री है।
वास्तव में आप इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80सी से 80यू के तहत किये गए निवेश की रकम को जोड़ लें। इसके बाद टैक्स छूट की बेसिक सीमा वाली रकम को उसमें जोड़ दें। कुल आमदनी में से इस रकम को घटा दें।
इसके बाद जितनी रकम बचती है उस पर लागू टैक्स स्लैब के हिसाब से आपको इनकम टैक्स चुकाना पड़ेगा।
टैक्स की इस रकम पर आपको उपकर (सेस) की रकम की भी गणना सही तरीके से करनी पड़ेगी। सेकेंड्री एंड हायर एजुकेशन सेस 4% की गणना करनी पड़ेगी। सेस की रकम को आपके कुल टैक्स में जोड़ने के बाद टैक्स की रकम निकलेगी।
जिस व्यक्ति की सालाना आमदनी 50 लाख से एक करोड़ रुपये के बीच है उस व्यक्ति को टैक्स की रकम का 10% सरचार्ज के रूप में चुकाना पड़ता है, जिस व्यक्ति की सालाना आमदनी 1 करोड़ से 2 करोड़ रुपये के बीच है उस व्यक्ति को टैक्स की रकम का 15% सरचार्ज के रूप में चुकाना पड़ता है। जिसकी सालाना आमदनी 2 करोड़ से 5 करोड़ रुपये के बीच है उस व्यक्ति को टैक्स की रकम का 25% सरचार्ज के रूप में चुकाना पड़ता है। सालाना आमदनी 5 करोड़ से ऊपर है उस व्यक्ति को टैक्स की रकम का 37% सरचार्ज के रूप में चुकाना पड़ता है।
अगर किसी व्यक्ति की आमदनी 3.5 लाख से कम है तो उसे इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 87(ए) के तहत इनकम टैक्स पर 2500 रुपये तक की छूट मिल जाती है। इनकम टैक्स की रकम से संबंधित यह गणना सेस जोड़ने से पहले ही की जाती है।
आयकर की नई और पुरानी दरें
आय | नई दर | पुरानी दर |
2.5 लाख रुपये तक | शून्य | शून्य |
2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये | 5 फीसदी | 5 फीसदी |
5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये | 10 फीसदी | 20 फीसदी |
7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये | 15 फीसदी | 20 फीसदी |
10 लाख से 12.5 लाख रुपये | 20 फीसदी | 30 फीसदी |
12.5 लाख 15 लाख रुपये | 25 फीसदी | 30 फीसदी |
15 लाख रुपये से ज्यादा | 30 फीसदी | 30 फीसदी |
(लेखक झारखंड के टैक्स कंसल्टेंसी फर्म टैक्स सव्वी एसोसिएट्स के फाउंडर हैं)