पेंशन और र‍िटायरमेंट उम्र बढ़ाने की चाह में शोध प्रोजेक्‍ट की उपेक्षा रहे बीएयू वैज्ञानिक

झारखंड मुख्य समाचार
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रांची। बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय के कई वैज्ञानिक पेंशन, र‍िटायरमेंट उम्र बढ़ाने और न‍ियम‍ित वेतन की चाह में शोध परियोजना की उपेक्षा कर रहे हैं। वे राष्‍ट्रीय स्‍तर पर होने वाली वार्षिक समूह की बैठक में हिस्‍सा भी नहीं ले रहे हैं। इसका खुलासा विवि के निदेशक अनुसंधान के लिखे पत्र से हुआ है। वैज्ञानिकों के इस कदम का प्रतिकूल प्रभाव किसान, शोध और विश्‍वविद्यालय पर पड़ रहा है।

समायोजन की चाह

निदेशक अनुसंधान डॉ ए वदूद ने लिखा है कि यह पता चला है कि एआईसीआरपी के कुछ वैज्ञानिक अनुसंधान परियोजनाओं के उद्देश्य और मैंडेट को विफल/आंशिक रूप से विफल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे यह सोचकर, जानबूझकर कुछ या अन्य बहाने ऐसा कर रहे हैं कि परियोजना वापस ले लिये जाने की स्थिति में उन्हें स्‍टेट प्‍लान और नन प्‍लान के पदों में समायोजित किया जाएगा। सूचना मिली है कि कुछ प्रधान अन्‍वेषक (पीआई) को-ऑर्डिनेटिंग सेल के साथ पूरी तरह से सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस उद्देश्‍य को पूरा करने के लिए स्वयं वर्चुअल मीटिंग में आवश्यक प्रस्तुतिकरण नहीं कर रहे हैं। कुछ अन्य संबद्ध वैज्ञानिक को नियुक्त करते हैं। इस प्रकार को-ऑर्डिनेटिंग सेल के अपेक्षित प्रश्नों से बचते हैं।

विवि करेगा कार्रवाई

निदेशक अनुसंधान ने पत्र में लिखा है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसी सभी चूकों के कारण प्रदर्शन में कमी/अनुसंधान में आंशिक या पूरी तरह से विफलता या समन्वय प्रकोष्ठ या फंडिंग एजेंसी से शिकायत पर नाराजगी/परियोजना को वापस लेने आदि के लिए पहली जिम्मेदारी पीआई/योजना प्रभारी और फिर अन्य संबद्ध वैज्ञानिक की होगी। विश्वविद्यालय उचित कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगा।

क्‍या है मामला

जानकारी के मुताबिक विवि में कई वैज्ञानिक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) कोटे से नियुक्‍त हैं। विवि में नियु‍क्‍त आईसीएआर के वैज्ञानिकों को तीन से चार माह की देरी से वेतन भुगतान हो रहा है। परिषद का कहना है कि विश्‍वविद्यालय पूर्व में दी गई राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र दे। इसके बाद ही नये फंड रिलीज किये जाएंगे। परिषद के मुताबिक विवि को वह 10 करोड़ रुपये पहले दे चुका है। इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक नहीं मिला है।

नन प्‍लान और प्‍लान कोटे से नियुक्‍त वैज्ञानिकों को हर महीने वेतन का भुगतान हो जा रहा है। पहले इन्‍हें भी वेतन मिलने में दिक्‍कत आती थी। हालांकि सरकार द्वारा पीएल एकाउंट खोलने के बाद वेतन ससमय मिल जा रहा है।

यह स्‍थ‍ित‍ि छठे वेतनमान लागू होने के बाद उत्‍पन्‍न हुई। इसमें नन प्‍लान में क्‍लास रूम टीचरों का र‍िटायरमेंट उम्र बढ़ाकर 65 साल कर द‍िया गया। आईसीएआर पर‍ियोजना में कार्यरत वैज्ञान‍िकों को यह खलने लगा। उसपर अन‍ियम‍ित वेतन ने आग में घी का काम क‍िया।

पेंशन बड़ी वजह

आईसीएआर कोटे से नियुक्‍त वैज्ञानिक की रिटायरमेंट उम्र 62 साल है। उन्‍हें पेंशन नहीं मिलती है। कृषि विज्ञान केंद्र में नियुक्‍त वैज्ञानिकों की रिटायरमेंट उम्र तो 60 साल है। नन प्‍लान और प्‍लान कोटे से नियुक्‍त वैज्ञानिकों की रिटायरमेंट उम्र 65 साल है। रिटायर होने के बाद उन्‍हें पेंशन मिलती है। ऐसे में आईसीएआर कोटे से नियुक्‍त वैज्ञानिकों को पेंशन और सेवा अवधि का नुकसान दिख रहा है। उन्‍हें लगता है कि आईसीएआर प्राजेक्‍ट के लौट जाने से उन्‍हें प्‍लान या नन प्‍लान में समायोजित कर दिया जाएगा।

लौटा चुका है कई प्रोजेक्‍ट

जानकारी के मुताबिक पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से विवि में चल रहे कई प्रोजेक्‍ट वैज्ञानिकों की वजह से लौट चुकी है। इन प्रोजेक्‍ट में वीड कंट्रोल (एग्रोनॉमी), पपाया रिसर्च स्‍कीम (उद्यान), नाइजर रिसर्च स्‍कीम (ब्रीडिंग), ग्राउनेट रिसर्च स्‍कीम भी शामिल है। इसके साथ ही इस मद में आईसीएआर से मिलने वाला फंड भी बंद हो चुका है।