- झारखंड का सर्वश्रेष्ठ आसवन ईकाई लगा मुरहू में
खूंटी। झारखंड के खूंटी जिले के ग्रामीण अब अफीम की अवैध खेती से तौबा करेंगे। जिले के मुरहू प्रखंड अंतर्गत गोड़ाटोली पंचायत के सुरूंदा गांव में औषधीय और सुगंधित पौधों से तेल निकालने की आसवन ईकाई (Distillation unit) का शुभारंभ हो गया। इसका उदघाटन बुधवार को उपायुक्त शशि शशि रंजन ने किया। इस मौके पर एसपी आशुतोष शेखर, एसडीएम हेमंत सती, जिला कृषि पदाधिकारी कालीपद महतो, बीडीओ प्रदीप भगत, जेएसएलपीएस के डीपीएम शैलेश रंजन, नमन कुमार समेत गांव के प्रमुख लोग पड़हा राजा दाउद मुंडू, मुखिया सोमा कैथा, झरिया महिला संघ की अध्यक्ष फुलमनी बोदरा, अनिल सिंह, राय मुंडू, ससेवा वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष अजय शर्मा समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
लेमनग्रास से तेल निकाला गया
कोविड-19 के कारण यह आयोजन साधारण तरीके से हुआ। कार्यक्रम स्थल पर सामाजिक दूरी का पालन किया गया। सभी लोगों ने मास्क पहना और सेनिटाईजर का उपयोग किया। उदघाटन के मौके पर मुरहू प्रखंड की कुदा पंचायत अंतर्गत कोजड़ोंग गांव के चाड़ा और सनिका पाहन द्वारा लाये गए लेमनग्रास से तेल निकाला गया। बता दें कि आसवन ईकाई के अधिष्ठापन के लिए सेवा वेलफेयर सोसाईटी ने ग्रामसभा और प्रशासन के बीच एक कड़ी बनकर काम किया।
प्रशासन करेगा किसानों की मदद
डीसी ने आसवन ईकाई की प्रसंसा की। उन्होंने कहा कि जिले में औषधीय और सुगंधित पौघों की खेती को बढ़ावा देने और किसानों को भरपूर मदद करने का काम जिला प्रशासन करेगा। उन्होंने अफीम की खेती की जगह लोगों से लेमनग्रास की खेती करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इससे खूंटी देशभर में लेमनग्रास की खेती के लिए जाना जाय। यहां के लोगों को आजीवका का एक बेहतर साधन मिल सकेगा।
अफीम की खेती के विकल्प
इस आसवन इकाई का मूल उद्देश्य औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती को खूंटी में बढ़ावा देना है। जिससे ग्रामीणों को अर्थोपार्जन के लिए अफीम की अवैध खेती करने की नौबत नहीं आए। जिले में वैसी जमीन, जहां सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं है, वैसे जंगल-झाड़ी के बीच खाली पड़ी जमीन पर लेमनग्रास, तुलसी, पामारोजा आदि की खेती को बढ़ावा देकर लोगों की आय का श्रोत बढ़ाना है। जिले में इस वर्ष ऐसी ही 200 एकड़ में लेमनग्रास की खेती की गई है।
अत्याधुनिक है आसवन केंद्र
सुरूंदा में स्थापित आसवन ईकाई की तमाम मशीने असम के नागी ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज से मंगवाई गई है। कंपनी के संचालक रघुवीर सिंह नागी ने बताया कि यह झारखंड में सबसे बेहतर और आधुनिक आसवन ईकाई है। इससे एक टन लेमनग्रास का तेल का पहला खेप साढ़े चार घंटे में और उसके बाद लगातार हर तीन घंटे में दस-दस लीटर तेल निकाले जा सकते हैं। इसके सभी पार्टस स्टेनलेस स्टील के हैं। सरल-सहज और हस्तचालित है। टिनटिल टाईप ग्रास बेशल होने के कारण आसवन के बाद तत्काल घास निकालकर तुरंत दूसरी खेप प्रारंभ हो सकती है।
19 लाख रुपये की लागत
सुरूंदा में आसवन ईकाई की अधिष्ठापन अकांक्षी जिला योजना के तहत की गयी है। इसकी लागत 19 लाख रुपये है। सेवा वेलफेयर सोसाईटी ने इसे लगाने के लिए पिछले दो वर्षों से ग्रामसभा और जिला प्रशासन के बीच की कड़ी बनकर काम किया।
डीसी को सौंपा आवेदन
ग्रामसभा सुरूंदा की ओर से डीसी शशि रंजन को एक मांगपत्र सौंप कर आसवन ईकाई की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए चाहरदीवारी समेत दो कमरे, शौचालय, बोरिंग, बिजली, ट्रस्ट आदि की मांग की है। आसवन ईकाई का संचालन जेएसएलपीएस के माध्यम से किया जाएगा।