गंगा भारतीय धर्म संस्कृति की पहचानः मोहन भागवत

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हरिद्वार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने रविवार को कहा कि मां गंगा सिर्फ नदी नहीं हैं। वह भारतीय धर्म संस्कृति की पहचान हैं। वह जीवनदायनी हैं। गंगा के पावन तट पर आने वाला हर व्यक्ति पावन हो जाता है। संघ प्रमुख के उद्बोधन के साक्षी देश के प्रमुख संत बने। 

सरसंघचालक ने  प्रेम प्रकाश मंडलाध्यक्ष स्वामी भगत प्रकाश महाराज की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में प्रेमनगर आश्रम चौक, शंकराचार्य चौक के पास सतनाम साक्षी घाट, भारत माता  शौर्य स्मारक, अमरापुर घाट और दीप स्तंभ का लोकार्पण किया। इसके बाद उन्होंने श्रीराम तीर्थ आश्रम का  उद्घाटन किया।

संघ प्रमुख ने कहा कि हमें अपने गौरवशाली इतिहास और वीर पुरुषों को नहीं भूलना चाहिए। उनको हमेशा याद और नमन करना चाहिए। धर्म, संस्कृति और देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले अनेकों महापुरुष पैदा हुए हैं। उन्होंने अपने त्याग और बलिदान से पूरी दुनिया को प्रेरणा दी है। 
मोहन भागवत ने कहा कि आज जब हम देश की सीमा के भीतर सुख-चैन के साथ अपना कार्य कर पाते हैं तो उसकी असल वजह यही है कि सीमा पर वीर जवान हमारी रक्षा को अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं।

उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत के जरिये धर्म को जानने और समझने की कोशिश कर रही है। हमारे महापुरुषों ने पूरी दुनिया को सनातन हिंदू धर्म की उत्कृष्टता और अलौकिकता का दर्शन कराया। इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपने आचरण और विचार से दुनिया को सही रास्ता दिखाएं और देश को विश्व गुरु बनाएं।