रांची। झारखंड में कार्यरत पारा शिक्षकों की संख्या जिलों से अलग-अलग दर्शायी जा रही है। इसपर झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् ने आपत्ति जताई है। कहा है कि ये स्वीकार्य नहीं है। परिषद् ने ई-विद्यावाहिनी में पारा शिक्षकों की सही जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इस संबंध में परिषद् के निदेशक डॉ शैलेश कुमार चौरसिया ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी-सह-जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को 5 मार्च, 21 को पत्र लिखा है।
डॉ चौरसिया ने पत्र में लिखा है कि आपके जिले द्वारा विभिन्न स्रोतों से पारा शिवाकों की संख्या अगल-अलगा दर्शायी जा रही है, जो स्वीकार्य नहीं है। विभिन्न कार्यों के लिये यह आवश्यक है कि ई-विद्यावाहिनी में कार्यरत पारा शिक्षकों की सही संख्या प्रतिबिंबित हो।
इसके मद्देनजर निदेशक ने 10 मार्च, 2021 तक वैसे सभी पारा शिक्षकों को ई-विद्यावाहिनी में अद्यतन करने का निर्देश दिया है, जो पारा शिक्षक हैं एवं कार्यरत हैं। उन्होंने लिखा है कि ई-विद्यावाहिनी में पारा शिक्षकों के अंकित जाम तिथि में भी सुधार की आवश्यकता है।
पारा शिक्षकों के चयन की श्रेणी (प्राथमिक/उच्च प्राथमिक) में भी सुधार कर लिया जाए। इसके लिए ज्ञात हो कि 1:40 के आधार पर चयनित पारा शिक्षक प्राथमिक श्रेणी में चयनित हैं। पारा शिक्षकों के चयन के विषय में भी सुधार कर लिया जाए। इसके लिए ज्ञात हो कि प्राथमिक कक्षाओं के लिए चयनित पारा शिक्षक सभी विषय और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए चयनित पारा शिक्षक विज्ञान/समाजिक विज्ञान विषय के लिए चयनित किये गये हैं।
पारा शिक्षकों के प्रशिक्षण और टीईटी उत्तीर्णता वर्ष/कोटी की भी सही आजकारी अद्यतन किया जाए। इसके लिए आपके जिले में कार्यरत अतिरिक्त जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, पारा शिक्षक प्रभारी और सहायक कम्प्यूटर प्रोगामर को समयबद्ध जिम्मेवारी सौंपते हुए उक्त कार्य को ससमय संपादित कराना सुनिश्चित करें।
निदेशक ने लिखा है कि आपके जिले में श्रेणीवार कार्यरत और ई-विद्यावाहिनी में मौजूद श्रेणीवार पारा शिक्षकों की संख्या का मिलान करते हुए इसके एक होने से संबंधित प्रतिवेदन 10 मार्च, 2021 तक आवश्यक रूप से उपलब्ध कराया जाए।
ई-विद्यावाहिनी में कार्यरत पारा शिक्षकों की संख्या और AWP&B 2020-21 के दौरान जिले द्वारा उपलब्ध कराये गये पारा शिक्षकों की संख्या निम्नवत है।