​एचएएल ने तटीय सुरक्षा के लिए सौंपे 5 ‘ग्रीन हेलीकॉप्टर’

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– ‘ध्रुव’ एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर मार्क-III वेरिएंट का एचएएल ने किया निर्माण
– हरे रंग के इन हेलीकॉप्टरों में तटीय सुरक्षा के लिहाज से 19 बदलाव किये गए

नई दिल्ली। तटीय सुरक्षा के लिए ‘मेड इन इंडिया’ के तहत तैयार किये गए पांच ग्रीन हेलीकॉप्टरों का पहला बैच एयरो इंडिया के आखिरी दिन शुक्रवार को एचएएल ने नौसेना अध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह को सौंप दिया। इसमें 3 ‘ध्रुव’ एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर मार्क-III वेरिएंट नौसेना और दो एएलएच इंडियन कोस्ट गार्ड के लिए हैं। मुंबई में आतंकी हमले के बाद तटीय सुरक्षा के मद्देनजर एचएएल को मार्क-III के 16 हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर दिया गया था। हरे रंग के इन हेलीकॉप्टरों में तटीय सुरक्षा की जरूरतों के लिहाज से 19 तरह के बदलाव किये गए हैं।

नौसेना प्रवक्ता ने बताया कि हेलीकॉप्टरों का पहला बैच एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर माधवन ने नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और कोस्ट गार्ड के महानिदेशक के. नटराजन को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में सौंपा। एयरो इंडिया 2021 के दौरान 3 ग्रीन हेलीकॉप्टरों को हासिल किये जाने से भारतीय नौसेना की स्वदेशीकरण के प्रति प्रतिबद्धता झलकती है।​​इन हेलीकॉप्टरों ने 3 लाख घंटे की उड़ान में बहुमुखी कार्यों में अपनी सूक्ष्मता को साबित किया है। मुंबई पर आतंकी हमला होने के 9 साल बाद मार्च, 2017 में एचएएल के साथ लगभग 5,126 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके तहत पांच साल की समय सीमा में मार्क-III वेरिएंट के 16 एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टरों (फिक्स्ड व्हील) की आपूर्ति की जानी थी। एचएएल के हेलीकॉप्टर डिवीजन ने नौसेना के सुझाव पर 19 तरह के तकनीकी बदलाव किये हैं। एचएएल के इंजीनियरों ने ‘ध्रुव’ एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर मार्क-III वेरिएंट में तटीय सुरक्षा के लिए 270 डिग्री कवरेज के साथ एक निगरानी रडार लगाया है, जो कई समुद्री लक्ष्यों का पता लगाकर उन्हें वर्गीकृत और ट्रैक कर सकता है। 

सिंथेटिक-एपर्चर रडार, उलटा सिंथेटिक-एपर्चर रडार और मूविंग टारगेट इंडिकेशन लगाया गया है, जिसमें वेदर मोड भी है। टोही नियंत्रण के लिए सह-पायलट की ओर बहु-स्पेक्ट्रल इलेक्ट्रो-ऑप्टिक भी लगाया गया है, जो लक्ष्य प्राप्ति और सीमा की खोज करता है। इसके अलावा अन्य सुविधाओं में एयर एम्बुलेंस भूमिका के लिए गहन चिकित्सा देखभाल इकाई (आईसीयू) शामिल की गई है। हाई-इंटेंसिटी सर्चलाइट, लाउरहाइलर, 12.7-एमएम केबिन माउंटेड मशीन गन, ट्रैफिक अलर्ट और टक्कर टालने की प्रणाली लगाई गई है। 

एचएएल ने मार्क-III के हेलीकॉप्टरों को कोच्चि स्थित नौसेना की भौतिक और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा विकसित एक स्वदेशी कम आवृत्ति के डंकन सोनार (एलएफडीएस) से लैस किया है। सोनार की इकाइयां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा उत्पादित की जा रही हैं। अब मार्क-थ्री वेरिएंट में एचएएल ने इंटीग्रेटेड आर्किटेक्चर डिस्प्ले सिस्टम (आईएडीएस) के साथ एक पूर्ण ग्लास कॉकपिट लगाया है। रोटरी विंग रिसर्च एंड डिज़ाइन सेंटर (आरडब्ल्यूआरडीसी) ने अधिक शक्तिशाली शक्ति इंजन 1एच1 इंजन के साथ एकीकृत किया है। यह हेलीकॉप्टर सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के साथ ही सुरक्षित जीवन, सुरक्षित समुद्र तट और सुरक्षित समुद्र सुनिश्चित करने में आईसीजी और नौसेना की भूमिका को और महत्वपूर्ण बनाएंगे।​​