जयपाल सिंह मुंडा के गांव में होगा हॉकी स्टेडियम का निर्माण : केंद्रीय मंत्री

झारखंड
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  • हॉकी या तीरंदाजी एकेडमी की होगी स्थापना

खूंटी। मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के पैतृक गांव टकरा में हॉकी स्‍टेडियम का निर्माण होगा। यहां हॉकी अथवा तीरंदाजी एकेडमी की स्‍थापना की जाएगी। उक्‍त बातें केंद्रीय जनतीय कार्य मामले के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कही। वे 3 जनवरी को स्‍व. मुंडा की 118वीं जयंती पर उनके पैतृक गांव में जिला प्रशासन के सौजन्य से आयोजित समारोह में बोल रहे थे। उन्‍होंने स्व. जयपाल सिंह की समाधि‍ स्थल पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित कर की।

मौके पर सामुदायिक पुस्तकालय और मिनी जीम का उद्घाटन, जयपाल सिंह मुंडा की आदमकद प्रतिमा का अधिष्ठापन, छह सड़क निर्माण पाहन टोला में पेयजलापूर्ति, हाईमास्ट अधिष्ठापन योजना का शिलान्यास किया। स्व मुंडा की जीवनी पर आधारित कॉफी टेबल का अनावरण एवं स्कूली बच्चियों के बीच स्वास्थ्य किट का वितरण किया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टकरा ग्राम को राष्ट्रीय स्तर पर आकर्षण का केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है। उन्होंने ग्रामीण युवाओं की खेल के क्षेत्र में प्रतिभा को निखारने की बात कही। साथ ही ग्रामीणों को योजनाओं से लाभांवित होने की दिशा में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि टकरा ग्राम के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य को पूर्ण करते हुए ग्रामीणों को सीधे लाभ मिलेगा।

मंत्री ने घोषणा की कि टकरा ग्राम में हॉकी स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा। हॉकी अथवा आर्चेरी एकेडमी की स्थापना की जाएगी। उन्होंने मौके पर खूंटी उपायुक्त शशि रंजन को उक्त कार्य के लिए प्राक्कलन तैयार कराने का निर्देश देते हुए कहा कि उक्त कार्य के लिए राशि की कमी नहीं होने दी जाएगी।

इस दौरान उपायुक्त ने स्व. जयपाल सिंह मुंडा के योगदान और बलिदान के संबंध में बताया। समारोह के दौरान आयोजित बालक और बालिका वर्ग के हॉकी प्रदर्शनी मैच के विजेता और उप विजेता टीम को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया। खिलाड़ियों को मेडल व हॉकी किट देकर उत्साहित किया गया। आयोजित आर्चेरी प्रदर्शनी में उम्दा प्रदर्शन करने वाले तीरंदाजों को पुरस्कृत किया गया।

सिलादोन में केंद्रीय मंत्री द्वारा लघु वनोपज क्रय केंद्र व वन धन योजना केंद्र का उद्घाटन किया किया। सिलादोन वन धन विकास केंद्र झारखंड का प्रथम वन धन केंद्र है। मंत्री ने बताया कि केंद्र के माध्यम से संगठित हुए 300 किसान अपनी उपज को एकत्रित करते हैं। इन एकत्रित किए गये सामग्रियों की गुणवत्ता के अनुसार छटाई भी की जाती है। छटाई के पश्चात प्रसंस्करण के लिए भेजा जाता है, जहां संबंधित सामग्रियों का निर्माण होगा। साथ ही उत्पादित वस्तुओं की पलाश ब्रांडिंग की जा रही है।