रांची। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) के जनरल असेम्बली ने पूर्व विधायक केएन त्रिपाठी को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है। राष्ट्रीय महासचिव केके तिवारी को पुनः चुना गया। इंटक का दो दिवसीय अधिवेशन रांची के मोरहाबादी स्थित एक होटल में हुआ।
इंटक जनरल असेम्बली ने झारखंड के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता के माध्यम से 17 सूत्री मांग प्रधानमंत्री और केंद्रीय श्रम मंत्री से की। श्री भोक्ता ने भरोसा दिलाया कि प्रदेश में यदि कहीं भी उचित मजदूरी नहीं मिलती है या श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जाता है, तो उनके संज्ञान में लायें। उन्होंने आग्रह किया कि झारखंड के साथ-साथ समूचे देश में श्रम कानूनों का पालन किया जाये। उन्होंने इंटक को हर संभव सहयोग की बात कही।
राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद श्री त्रिपाठी ने कहा कि देश विपरीत परिस्थितियों से गुजर रहा है, क्योंकि लाखों किसान अभी कड़ाके की ठंढ में खुली रात में बिता रहे हैं। उन्हों ने मजदूरों के 27 कानूनों को इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बनाने को मजदूर विरोधी बताया। कहा कि इसे लाने से पहले ट्रेड यूनियनों से सलाह तक नहीं ली गयी, जो अलोकतांत्रिक है। कृषि कानूनों में बदलाव पर भी कड़ा एतराज जताते हुए इसे केवल और केवल पूंजीपतियों के फायदे का कानून करार दिया। श्री त्रिपाठी ने आगाह किया कि इंटक सरकार की ईंट से ईंट बजा देगी।
इंटक के राष्ट्रीय युवा राकेश सेट्टी ने कहा कि जब कोरोना का संकट हुआ, तब सरकार ने उन्हें कोई मदद नहीं की। मोदी सरकार मजदूरों का शोषण होने दे रही है। केवल दो पूंजीपति परिवारों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
इंटक के जनरल असेम्बली ने मजदूर हित में प्रधानमंत्री के समक्ष 17 सूत्री मांगों को रखा। इनमें शत प्रतिशत एफडीआई का विरोध, किसान हित में न्यूनतम समर्थन मूल्य देना, संस्थानों में अनुबंध कर्मियों को न्यूनतम वेतन 25 हजार रुपये देना, मजदूरों का पलायन रोकना, नीति आयोग में कामगार और किसानों को प्रतिनिधित्व प्रदान करना, समान कार्य के बदले समान वेतन व्यवस्था को लागू करना, बंद की गई पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करना, मजदूरों की आर्थिक दशा में सुधार के लिए उचित मानदेय के साथ बुनियादी सुविधा शिक्षा चिकित्सा बिजली आदि देने की मांग की गई है।