जमशेदपुर में पहला काॅलेज खोलने वाले पद्मश्री प्रो हांसदा का निधन

झारखंड
Spread the love

  • शिक्षा में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता : रघुवर

जमशेदपुर। जिले में पहला काॅलेज खोलने वाले पद्मश्री प्रो दिगम्बर हांसदा का निधन हो गया। वे जाने-माने शिक्षाविद, लेखक एवं समाजसेवी थे। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। उन्होंने कहा है कि प्रो हांसदा एक मृदुभाषी एवं मिलनसार व्यक्ति थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

प्रो. हांसदा के कृतित्व एवं व्यक्तित्व को देखते हुए श्री दास ने सरकार से राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई देने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि संताली भाषा एवं साहित्य के विकास में इनका काफी योगदान रहा है। हिन्दी एवं संताली भाषा में इनकी कई पुस्तकें हैं। भारतीय संविधान का इन्होंने संताली में अनुवाद किया है। इंटरनेशनल संताल काउंसिल के संस्थापक चेयरमैन एवं गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू मेमोरियल ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में इन्होंने काफी काम किया है।

जमशेदपुर के आदिवासी क्षेत्र में पहला कॉलेज खोलने का श्रेय भी प्रो हांसदा को जाता है। वे जमशेदपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज के संस्थापक सदस्य थे। उनके निधन से शिक्षा जगत को भारी क्षति हुई है।

श्री दास ने अपने शोक संदेश में कहा है कि झारखंड के विकास के इस दौर में हमें इनकी जरूरत थी, लेकिन असमय यह हमारे बीच से चले गये। मृत्यु पर आदमी का वश नहीं चलता है, हानि-लाभ जीवन-मरण, यश-अपयश ऊपर वाले के हाथ में है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें तथा इनके निधन से मर्माहत परिजनों को दु:ख सहने की शक्ति दें।